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संत कबीर नगर, (उत्तर प्रदेश)
हाय रे जिला अस्पताल! जहां रात में लगती है मरीजों की बोली”
संत कबीर नगर का जिला अस्पताल बना मरीजों की मंडी, प्राइवेट अस्पतालों की एंबुलेंस रातभर करती हैं सौदेबाजी
संतकबीरनगर— सरकारी अस्पताल, जहां गरीब और जरूरतमंद मरीज अपने इलाज की उम्मीद लेकर पहुंचते हैं, वहीं उनके साथ एक भयावह खेल खेला जा रहा है। जिला अस्पताल खलीलाबाद में मरीजों की जान की कीमत लगाई जाती है और उन्हें प्राइवेट अस्पतालों के हाथों बेच दिया जाता है।
कैसे होती है सौदेबाजी?
जिला अस्पताल में देर रात तैनात डॉक्टर और कर्मचारी मरीजों के परिजनों को यह कहकर गुमराह करते हैं कि अस्पताल में पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, लिहाजा मरीज को तुरंत रेफर करना जरूरी है। इसके बाद अस्पताल परिसर में पहले से खड़ी प्राइवेट अस्पतालों की एंबुलेंस सक्रिय हो जाती हैं। ये एंबुलेंस मरीजों को अपने अस्पतालों में भर्ती कर मोटी रकम ऐंठने का काम करती हैं।
नाम न बताने की शर्त पर एक अस्पताल कर्मचारी ने बताया कि इस पूरे खेल में अस्पताल प्रशासन और प्राइवेट अस्पतालों के बीच गहरी साठगांठ होती है। हर महीने तय संख्या में मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में भेजा जाता है, और इसके बदले अस्पताल के कुछ कर्मचारियों को मोटा कमीशन दिया जाता है। सूत्रों के मुताबिक, मरीजों से वसूली गई रकम का 20 से 25% हिस्सा सौदा करने वालों की जेब में जाता है।
कानून भी हो रहा है ताक पर
पूर्व में जारी नियमों के अनुसार, सरकारी अस्पताल परिसर में प्राइवेट एंबुलेंस का आना-जाना पूरी तरह से अवैध माना जाता था। लेकिन वर्तमान में यह प्रतिबंध कागजों तक ही सीमित रह गया है। प्रशासन की अनदेखी और मिलीभगत के चलते यह गोरखधंधा धड़ल्ले से जारी है।
सरकारी अस्पतालों को गरीबों की उम्मीद कहा जाता है, लेकिन जब वही अस्पताल बोली लगाने का अड्डा बन जाए, तो सवाल उठना लाजिमी है। प्रशासन को इस पर तुरंत संज्ञान लेना चाहिए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि मरीजों की जिंदगी और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति दोनों सुरक्षित रह सकें।