
शाहपुरा जिला बचाओ संघर्ष समिति के आव्हान पर चल रहे आंदोलन के 58वें दिन आज शाहपुरा के दो दो किलोमीटर के क्षेत्र में सभी व्यापारी संगठन ने अपने स्वयं के प्रतिष्ठान बंद किये पूर क्षेत्र बंद है। शहर के सभी बाजार अलसुबह से ही बंद कर दिए गए हैं, जिसमें चाय, अल्पाहार, और सब्जी विक्रेताओं ने भी स्वैच्छिक रूप से बंद का समर्थन किया है। अभिभाषक संस्था के अध्यक्ष दुर्गालाल राजौरा की अगुवाई में यह आंदोलन निरंतर जारी रहेगा और आज दिनभर शाहपुरा बंद रखने का निर्णय लिया गया है।
संघर्ष समिति के आह्वान पर आज सुबह 11 बजे महलों के चोक से एक विशाल रैली रवाना हुई जो बालाजी की छतरी ,सदर बाजार, नया, बाजार त्रिमूर्ति चौराया बस में स्टैंड रामद्वारा के मुख्य द्वार से भीलवाड़ा रोड उपखंड कार्यालय पहुंचकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सभी ने एक आवाज में कहा कि शाहपुरा जिला बहाल करो बहाल करो बहाल करो, जो एसडीओ कार्यालय तक पहुंची। वहां, शाहपुरा के सैकड़ों निवासी जिले की बहाली की मांग को लेकर संघर्ष समिति के संयोजक राम प्रसाद जाट सुनील मिश्रा एडवोकेट नमन ओझा कमलेश मुंडेतिया अनिल शर्मा शहाबुद्दीन उस्मान छीपा डा मोहम्मद इशाक अनिल शर्मा पूर्व पार्षद चंद्रकांता सेन सहित नगर वासियों ने गिरफ्तारियां दी। पुलिस द्वारा सभी कार्यकर्ताओं को दो बसों में भरकर भीलवाड़ा मार्ग की तरफ ले गए ।उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक शाहपुरा को जिला बहाल नहीं किया जाता, तब तक यह आंदोलन अनवरत जारी रहेगा।
बंद को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हैं। शाहपुरा थाना प्रभारी सुरेशचंद्र शर्मा के नेतृत्व में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके। पुलिस प्रशासन आंदोलनकारियों पर कड़ी नजर रख रहा था और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए मुस्तैद थी।
उल्लेखनीय है कि पिछले 58 दिनों से एसडीओ कार्यालय के बाहर क्रमिक अनशन और धरना जारी है। हर दिन विभिन्न समाजों और संगठनों की ओर से धरना दिया जा रहा है और राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा जा रहा है। इससे पहले, 28 जनवरी 25 तारीख को भी संघर्ष समिति द्वारा शाहपुरा बंद का आयोजन किया गया था, जिसमें विशाल आमसभा हुई थी। वह आयोजन शाहपुरा के इतिहास में ऐतिहासिक माना गया था।
शाहपुरा जिले की बहाली की मांग को लेकर जनता का समर्थन लगातार बढ़ रहा है। शहरवासियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, वे आंदोलन को और अधिक मजबूत बनाएंगे। आंदोलनकारियों का यह संकल्प प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है और आने वाले दिनों में आंदोलन की तीव्रता और अधिक बढ़ने की संभावना है।