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अभिभावक संघर्ष समिति की पहल पुराने वर्ष की पुस्तके जमा कराओ और नए साल की पुस्तके ले जाओ

समिति जरूरतमंद विद्यार्थियों को निशुल्क मुहैया करा रही किताबें, 9 साल में बांटे 10000 के करीब बुक सेट किए वितरण।


भीलवाड़ा शहर में अभिभावक संघर्ष समिति रजि, भीलवाड़ा जरूरतमंद विद्यार्थियों की मददगार साबित हो रही है। समिति विगत नौ साल में 10000 बुक सेट बांट चुकी है। समिति निःशुल्क बुक बैंक संचालित करती है, जहां विद्यार्थी पुरानी किताबें जमा करा अगली कक्षा का पुराना सेट ले कर जाते है। बता दे कि नर्सरी से आठवीं कक्षा तक की नई किताबों का सेट 3 से 7 हजार रुपए तक आता है।
समिति संस्थापक अध्यक्ष सुनील कोठारी, कोषाध्यक्ष विजय सोडाणी, सचिव पवन शर्मा एवम हाल ही समिति जुड़े सुनील शर्मा ने गत वर्ष करीब 800 सेट किताब दी जा चुकी है। वर्ष 2016 से अब तक समिति ने करीब 9000 सेट जरूरतमंद छात्र-छात्राओं को उपलब्ध कराए हैं। समिति की ओर से आने वाले समय में बड़ी कक्षाओं और प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित पुस्तकों को भी बुक बैंक में शामिल किया जाएगा।

3 से 7 हजार रुपए तक प्रति सेट की कीमत है बाजार मे।

सचिव पवन शर्मा ने बताया कि
बुक बैंक की शहर मे आजाद चौक स्थित आमेट वस्त्रालय सुनील शर्मा
के यहा से बुक बैंक का संचालन किया जा रहा है।

समिति पदाधिकारियों के अनुसार पुरानी पुस्तकें जमा कराने और नया सेट लेने के लिए एकीकृत केंद्र बनाया हैं जरूरतमंद छात्र-छात्राएं आजाद चौक के आमेट वस्त्रालय के बुक बैंक में पुस्तकें जमा करा पुरानी पुस्तकों का नया सेट ले सकते हैं।

ऐसे हुई शुरुआत

संस्थापक अध्यक्ष कोठारी ने बताया कि महंगाई और निजी स्कूलों की महंगी किताबों से लगभग सभी अभिभावक चिंतित थे। इस पहल से पर्यावरण संरक्षण में हम कुछ योगदान दे सकेंगे। ये विचार कर 2016 में बुक बैंक शुरू किया। राजस्थान में सर्वप्रथम बुक बैंक अभिभावक संघर्ष समिति ने ही शुरू किया, जो अब राज्य का सबसे बड़ा निःशुल्क बुक बैंक है। इसके बाद जयपुर, अजमेर, किशनगढ़, ब्यावर, कुचामन, नागौर, डीडवाना जैसे शहरों में भी यह पहल हुई।

पर्यावरण में ऐसे मददगार

देखा जाए तो 10000 बुक सेट का मतलब करीब 60000 किताबें हैं। एक किताब में औसतन 200 पेज माने तो करीब 1 करोड़ पेज होते हैं। नेशनल जियोग्राफिक रिपोर्ट के अनुसार एक वयस्क पेड़ से करीब 7500 मोटे पन्ने बनाए जा सकते हैं। इस लिहाज से समिति अब तक करीब 1500 पेड़ कटने से बचा चुकी है। सरकार स्कूलों में एनसीईआरटी की पुस्तकें लागू करे तो पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से उपयोगी होगी।

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