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आखिर क्या है वक्फ बोर्ड कानून

बुधवार, 2 अप्रैल को 1995 के वक्फ कानून में बदलाव को लेकर लाया गया वक्फ बोर्ड संशोधन बिल संसद के पटल पर पेश किए जाने की तैयारी है। इस संबंध में संयुक्त समिति की रिपोर्ट पूरी हो चुकी है। इस बिल का मकसद वक्फ बोर्ड के कामकाज में पारदर्शिता लाने के साथ महिलाओं को इन बोर्ड में शामिल करना है। सरकार के अनुसार मुस्लिम समुदाय के भीतर से उठ रही मांगों को देखते हुए यह कदम उठाया जा रहा है। इस विधेयक का उद्देश्य मौजूदा वक्फ अधिनियम के कई खंडों को रद्द करना है। ये रद्दीकरण मुख्य रूप से वक्फ बोर्ड के मनमाने अधिकार को कम करने के मकसद से किया जा रहा है, जो वर्तमान में उन्हें अनिवार्य सत्यापन के बिना किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में दावा करने की अनुमति देता है। राजनीतिक दलों के बीच इस बिल को लेकर खीचतान जारी है।
भारत में वक्फ की अवधारणा दिल्ली सल्तनत के समय से चली आ रही है, जिसके एक उदाहरण में सुल्तान मुइज़ुद्दीन सैम ग़ौर (मुहम्मद ग़ोरी) की ओर से मुल्तान की जामा मस्जिद को एक गांव समर्पित कर दिया गया था। साल 1923 में अंग्रेजों के शासन काल के दौरान मुसलमान वक्फ अधिनियम इसे विनियमित करने का पहला प्रयास था।
साल 1954 में स्वतंत्र भारत में वक्फ अधिनियम पहली बार संसद की ओर से पारित किया गया था।
साल 1995 में इसे एक नए वक्फ अधिनियम से बदला गया, जिसने वक्फ बोर्डों को और ज्यादा शक्ति दी। शक्ति में इस इजाफे के साथ अतिक्रमण और वक्फ संपत्तियों के अवैध पट्टे और बिक्री की शिकायतों भी बढ़ गईं।
साल 2013 में, अधिनियम में संशोधन किया गया, जिससे वक्फ बोर्डों को मुस्लिम दान के नाम पर संपत्तियों का दावा करने के लिए असीमित अधिकार प्रदान किए गए। संशोधनों ने वक्फ संपत्तियों की बिक्री को असंभव बना दिया।
[4/4, 11:39] Ankitjio: यह बिल मौजूदा वक्फ कानून में लगभग 40 बदलावों का प्रस्ताव रखता है। इसके तहत वक्फ बोर्डों को सभी संपत्ति दावों के लिए अनिवार्य सत्यापन से गुजरना होगा, जिससे पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।
इसका उद्देश्य वक्फ बोर्डों की संरचना और कामकाज को बदलने के लिए धारा 9 और 14 में संशोधन करना है, जिसमें महिलाओं के लिए प्रतिनिधित्व को शामिल किया गया है।
इसके अलावा, विवादों को निपटाने के लिए वक्फ बोर्डों द्वारा दावा की गई संपत्तियों का नया सत्यापन किया जाएगा और दुरुपयोग को रोकने के लिए, जिला मजिस्ट्रेट वक्फ संपत्तियों की निगरानी में शामिल हो सकते हैं।
सर्वदलीय संसदीय समिति में लाए जाने के बाद 2 अप्रैल (बुधवार) को नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से वक्फ संशोधन बिल संसद में पेश किया जा रहा है। इस बिल को लेकर मोदी सरकार कमर कस चुकी है और पहले इसे लोकसभा में पेश किए जाने की तैयारी हो रही है। संसद में 8 घंटे की चर्चा के बाद अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरने रिजिजू चर्चा को लेकर जवाब देंगे।
संसद में बिल पास करने के लिए सांसदों की संख्या को लेकर मोदी सरकार आश्वस्त दिख रही है हालांकि विपक्ष ने भी कमर कस ली है और बिल का विरोध किया जा रहा है। कई जगहों पर इस बिल के विरोध में काली पट्टी हाथ में बांधकर विरोध किए जाने घटनाएं भी सामने आ रही हैं। इस बीच संसद में होने वाली कार्यवाही पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।

वन्दे भारत लाइव टीवी न्यूज़ से अंकित पटेल की रिपोर्ट

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