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मंडला MP हेमंत नायक✍️
Mandla Madhya Pradesh:–मंडला जिले के वनों में रहने वाले आदिवासी और ग्रामीणों के जीवनयापन का एक महत्वपूर्ण साधन है तेंदूपत्ता संग्रहण। यह न केवल इन ग्रामीणों की आजीविका का प्रमुख स्रोत है, बल्कि वनों से प्राप्त होने वाली आय का सबसे बड़ा जरिया भी बन चुका है। हर साल गर्मी के मौसम में जब तेंदूपत्ता परिपक्व होता है, तब इसका संग्रहण शासन द्वारा तय नियमों और दरों के अनुसार किया जाता है। इस वर्ष तेंदूपत्ता संग्रहण की दर प्रति सैकड़ा 400 रुपये तय की गई है, जिससे ग्रामीणों को बेहतर आमदनी की उम्मीद है।
- तेंदूपत्ता को चाहिए तेज धूप और तपन
इस वर्ष मौसम की अनियमितता के कारण तेंदूपत्ता परिपक्व होने में देरी हुई है। आमतौर पर मार्च के बाद अप्रैल में गर्मी का असर बढ़ जाता है, लेकिन इस बार बेमौसम बारिश और ठंडक के चलते तेंदूपत्ता परिपक्व नहीं हो पाया था। हालांकि, अब मौसम साफ होने लगा है और सूर्य की तपिश भी बढ़ने लगी है, जिससे पत्तियां धीरे-धीरे परिपक्व हो रही हैं। कुछ क्षेत्रों में तेंदूपत्ता पूरी तरह तैयार हो चुका है और वहां तुड़ाई का कार्य भी आरंभ हो गया है। अन्य क्षेत्रों में आगामी कुछ दिनों में तुड़ाई शुरू होने की संभावना है।
- शासन की तैयारी और ग्रामीणों की भागीदारी
शासन स्तर से वन समितियों, ग्राम सभाओं और फड़ मुंशियों को निर्देशित किया गया है कि तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य सुचारु रूप से किया जाए। पश्चिम वनमंडल की 12 समितियों एवं पूर्व वनमंडल की ग्रामसभाओं के जरिए यह कार्य संपन्न हो रहा है। स्थानीय ग्रामीण विशेषकर महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे इस कार्य में उत्साह से भाग लेते हैं।
वन विभाग द्वारा फड़ बनाए गए हैं, जहां पत्ते जमा किए जाते हैं और संग्राहकों को निर्धारित दर पर भुगतान किया जाता है। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में अभी संग्रहण कार्य शुरू नहीं हुआ है, लेकिन मौसम अनुकूल रहा तो शीघ्र ही वहां भी तुड़ाई शुरू हो जाएगी।
- बीते वर्षों का अनुभव
विगत वर्षों में मौसम की मार और प्रशासनिक अव्यवस्थाओं के कारण तेंदूपत्ता संग्रहण से ग्रामीणों को अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाया। वर्ष 2020-21 में कोरोना काल और खराब मौसम की वजह से सिर्फ 15 दिन तुड़ाई हो सकी थी, और संग्रहित पत्ते उठाए भी नहीं गए थे, जिससे ग्रामीणों को नुकसान हुआ था। वहीं वर्ष 2022 में मौसम अनुकूल रहा और गुणवत्तायुक्त पत्ता प्राप्त हुआ। इससे ग्रामीणों में उत्साह देखा गया।
वर्ष 2024 में सरकार ने प्रति मानक बोरा की दर 4000 रुपये तय की थी, जिसे इस वर्ष भी बरकरार रखा गया है। यह दर ग्रामीणों के लिए लाभकारी मानी जा रही है, लेकिन इसकी तुलना में संग्रहण की दर में वर्षों से मामूली इजाफा ही हुआ है।
- ग्रामीणों को नहीं मिल रही सुविधाएं
एक ओर जहां तेंदूपत्ता ग्रामीणों की आर्थिक रीढ़ है, वहीं दूसरी ओर संग्रहकों को सुविधाओं का अभाव झेलना पड़ रहा है। ना तो पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं, ना ही कोई विशेष प्रोत्साहन। इससे पत्ता तोड़ने वालों की संख्या में भी गिरावट आई है। इसके बावजूद ग्रामीण अपने पारंपरिक अनुभव और जीवनशैली के चलते इस कार्य में लगे हुए हैं।
- सर्वाधिक संग्रहण वाले क्षेत्र
मंडला जिले के पश्चिम सामान्य वनमंडल क्षेत्र में पिंडरई, नैनपुर, गोराछापर, बम्हनी, मछरिया, मंडला, किंद्री, चिरईडोंगरी, कालपी, जमुनिया, निवास, छपरा, पददीकोना जैसी समितियों के माध्यम से तेंदूपत्ता संग्रहण किया जा रहा है। वहीं पूर्व वनमंडल में अंजनिया, कामता, मोहगांव, बिछिया, मोतीनाला, मवई जैसी जगहों पर संग्रहण कार्य जारी है।
- निष्कर्ष
मंडला जिले के ग्रामीणों की आर्थिक स्थिरता और आत्मनिर्भरता में तेंदूपत्ता संग्रहण की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। अगर मौसम अनुकूल रहा तो इस बार तेंदूपत्ता बेहतर गुणवत्ता में प्राप्त होगा और तुड़ाई का कार्य जून तक चल सकता है। शासन से अपेक्षा है कि संग्राहकों को अधिक से अधिक सुविधाएं दी जाएं ताकि वे बेहतर ढंग से यह कार्य कर सकें और अपनी आजीविका सशक्त बना सकें।