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अस्तित्व में नहीं आया 42 बेड का पीआईसीयू, वार्ड में रेफर हो रहे बच्चे

सिद्धार्थनगर। बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने का दावा माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कॉलेज में खोखला साबित हो रहा है। एक तरफ पुरानी बिल्डि़ंग में संचालित 15 बेड के पीआईसीयू वार्ड में मरीजों का बोझ बढ़ रहा है। वहीं, दूसरी ओर बजट आवंटित होने और कार्य करने वाली संस्था के नामित होने के बाद भी एमसीएच विंग में बन रहा 42 बेड का पीआईसीयू वार्ड अधर में पड़ा है।

बृहस्पतिवार को जब स्थिति का जायया लिया गया, तो सिस्टम पर सवाल खड़े करने वाली हकीकत सामने आई। पुराने अस्पताल के पीआईसीयू वार्ड में हर बेड पर बच्चे भर्ती पाए गए। वहीं, इसके इतर निर्माण की हकीकत जानने की कोशिश की गई तो बिजली के तार और ऑक्सीजन पाइप दौड़ाया हुआ मिला। अभी बेड सहित अन्य संसाधन की जरूरत है। यह हाल तब है, जब पहले से बिल्डिंग बनी हुई थी और वायरिंग हुई थी। अगर पूरा भवन बनाकर कार्य करना होता तो क्या होता। वहीं, जिम्मेदार कार्य करने वाली संस्था से पत्राचार करके जल्द संचालित करने की दलील दे रहे हैं।इसके अतिरिक्त 42 बेड के पीआईसीयू वार्ड बनाने की शासन से स्वीकृति देने के साथ ही वहीं से कार्यदायी संस्था नामित की गई। एमसीएच विंग में तीसरी मंजिल पर वार्ड एलाट किया गया। लगभग पांच माह पहले वार्ड बनाने का कार्य शुरू हुआ था। इसकी हकीकत जानने के लिए एमसीएच विंग की तीसरी मंजिल पर वार्ड के कार्य का जायजा लेने पहुंचे। यहां बिजली के लिए बोर्ड, ऑक्सीजन के लिए पाइप के अलावा बेड आदि की कोई व्यवस्था नहीं हुई। यहां से पुराने भवन के पीआईसीयू वार्ड में पहुंचे। यहां सभी 15 बेड फुल मिले। हर बेड पर बच्चे भर्ती थे। कोई बुखार से तो कोई बुखार से आने वाले झटके से पीड़ित मिला। स्वास्थ्य कर्मियों के मुताबिक कई बार बेड फुल होने के बाद छोटे बच्चों का एक बेड़ पर इलाज करना पड़ता है। जगह न होने के कारण मरीज के परिजन गैलरी में बैठे मिले। उसका निवासी मंजू, जोगिया निवासी किसलावती ने बताया कि तेज बुखार के कारण दो दिन से बच्चे को लेकर भर्ती हैं। इलाज तो हो रहा है, लेकिन यहां सोने और बैठने की व्यवस्था न होने से परेशानी हो रही है। कमोबेश हर मरीजों ने यही पीड़ा बताई।

12 घंटे रखा जाता है एक मरीज

वार्ड के आकड़ों पर नजर डालें तो प्रति माह 270-300 बच्चे भर्ती होते हैं। मौसम में बदलाव के बाद मरीजों की संख्या और बढ़ जाती है। प्रतिदिन कम से कम सात मरीज वार्ड में भर्ती होते हैं। एक मरीज को 12 घंटे से कम नहीं रखा जाता है। अगर मियादी बुखार और झटके की समस्या है तो उसे एक सप्ताह तक भर्ती करना पड़ता है। अगर बेड की संख्या बढ़ जाए तो लोगों को सहूलियत मिलती।

नया वार्ड बनने से मरीज के साथ तीमारदारों को मिलती सहूलियत

एमसीएच विंग में बनने वाले 42 बेड के वार्ड में पर्याप्त जगह है, ऐसे में बेड के बीच जगह होने के साथ ही बैठने की व्यवस्था है। इसके वार्ड के शुरू होने से मरीजों के साथ तीमारदारों को बैठने और आराम करने में लाभ मिलेगा।

एक माह बाद बिगड़ेगी स्थिति

स्वास्थ्य विभाग के जानकारों के मुताबिक अक्तूबर और नवंबर में बच्चे अधिक बीमार होते हैं। इसमें जहां निमोनिया के शिकार होते हैं। वहीं, दूसरी ओर मियादी बुखार होता है। एकाएक बच्चे बीमार पड़ते हैं। निमोनिया और मियादी बुखार होने पर आईसीयू की अति जरूरत पड़ती है। क्योंकि उसमें उन्हें अनुकूल माहौल मिलता है, और इलाज करने से जल्दी स्वास्थ होते हैं। अगर वार्ड का संचालन शुरू नहीं हुआ तो अभी से बेड फुल चल रहा है। जब बच्चे बीमार पड़ना शुरू होंगे तो परेशानी बढ़ जाएगी।

बोले जिम्मेदार

मामला संज्ञान में है, काम करने वाली कार्यदायी संस्था को पत्राचार किया गया है। कुछ काम शेष है, उसे जल्द पूरा करवाकर वार्ड शुरू कर दिया जाएगा।

डॉ. राजेश मोहन, प्राचार्य, माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कॉलेज

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