
अजीत मिश्रा (खोजी)
।। सपना इंटरनेशनल एकेडमी के प्रबंधक ने छात्रा से मांगा ₹15000 ।।
बस्ती ।। मुंडेरवा स्थानीय कस्बे में स्थित सपना इंटरनेशनल एकेडमी द्वारा दूसरे विद्यालय में प्रवेश लेने के लिए दो वर्ष बाद भी नाम नहीं काटा जा रहा है और प्रबंधक द्वारा छात्रा से ₹15000 की मांग नाम काटने के लिए की जा रही है। नाम न काटने के कारण सरकार द्वारा महत्वपूर्ण योजना डीबीटी का लाभ भी दो वर्ष से नहीं मिल पा रहा है। जिससे अभिभावक परेशान है।
बताते चलें कि नगर पंचायत मुंडेरवा के धुसवा के निवासी सुनीता पत्नी श्रवण कुमार नें मुख्यमंत्री एंव जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को दिए ऑनलाइन शिकायती पत्र में बताया है कि मेरी एक पुत्री कोमल कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में एवं दूसरी पुत्री मीनाक्षी कन्या प्राथमिक विद्यालय मुंडेरवा में अध्ययनरत है।
शिकायतकर्ता का आरोप है कि बड़ी पुत्री कोमल का नाम विगत दो वर्ष पूर्व से ही सपना इंटरनेशनल एकेडमी मुंडेरवा से काटने का अनुरोध किया जा रहा है इसके बावजूद भी जबरन नामांकित किए हुए हैं जबकि दूसरी पुत्री अप्रैल से ही कन्या प्राथमिक विद्यालय मुंडेरवा में पढ़ रही है।
शिकायतकर्ता ने बताया कि दोनों बच्चों का नाम काटने के लिए सपना इंटरनेशनल एकेडमी से कई बार अनुरोध किया गया किंतु नाम नहीं काटा जा रहा है और नाम काटने की लिए पन्द्रह हजार रुपए मांगा जा रहा है। शिकायतकर्ता का यह भी आरोप है की संपूर्ण फीस की अदायगी कर दी गई है किंतु फिर भी जबरन धन की मांग की जा रही है। जबकि नाम न काटे जाने के कारण सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है ।
शिकायतकर्ता का यह भी आरोप है कि उक्त विद्यालय में बेसिक शिक्षा परिषद की संचालित पुस्तकें बच्चों को न देकर महंगे प्रकाशक कमीशन वाली पुस्तक दी जा रही हैं जिसके कारण बच्चों को उनके विद्यालय से अन्यत्र विद्यालयों में प्रवेश लेने के लिए मजबूर हुई । शिकायतकर्ता का यह भी आरोप है की अनट्रेंड अध्यापकों के सहारे विद्यालय संचालित किया जा रहा है और अध्यापकों को भी शासकीय मानकों के अनुसार वेतन भी नहीं दिया जा रहा है।
शिकायतकर्ता का यह भी आरोप है की नर्सरी से लेकर यूकेजी तक के विद्यालय भी संचालित किए जा रहे हैं जो नियम विरुद्ध है। शिकायतकर्ता का यह भी आरोप है कि मानक से अधिक छात्र संख्या एक ही कमरे में पढ़ाते हैं। और इतना ही नहीं बच्चों को घर से लाने के लिए बस संचालित किया जा रहा है उसमें आवश्यकता से अधिक बच्चों को बैठाया जाता है। शिकायतकर्ता ने उपरोक्त सभी मामलों में जांच कर कार्रवाई की मांग की है।