
21 अगस्त को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण बंटवारे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में भारत बन्द का आह्वान किया गया था। इस बन्द का समर्थन आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद, बसपा प्रमुख मायावती, और अन्य राजनीतिक दलों ने किया। आष्टा में भी इस बन्द का असर देखने को मिला, जहां चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी और भीम आर्मी के समर्थक सड़कों पर उतरे।
शांतिपूर्ण ढंग से आष्टा को बन्द कराने के प्रयास में व्यापारियों से हाथ जोड़कर उनकी दुकानों को बंद कराने की अपील की गई। इस आंदोलन में भीम आर्मी, बसपा, और अन्य संगठनों के सदस्य शामिल हुए। रैली और जुलूस बुधवारा होते हुए तहसील कार्यालय पहुंचे, जहां एसडीएम को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया। इसके बाद अम्बेडकर भवन आष्टा में आंदोलन को समाप्त कर दिया गया।
इस शांतिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान, SDOP आकाश अमलकर और उनकी टीम, जिसमें तीन थानों के टीआई भी शामिल थे, ने कड़ी धूप में रैली का सुचारु संचालन सुनिश्चित किया। कई स्थानों पर हिंसा की संभावना थी, लेकिन पुलिस प्रशासन ने अत्यधिक सतर्कता बरती और प्रदर्शन को शांतिपूर्ण रूप से सम्पन्न कराया।
भीम आर्मी के पदाधिकारी अजय परमार, संजय अम्बेडकरवादी, और गब्बर मालवीय ने भी पुलिस प्रशासन का सहयोग किया और अपनी टीम को मार्गदर्शन प्रदान किया। आंदोलन में सैकड़ों लोग शामिल हुए, जिनमें संजय अम्बेडकरवादी, गब्बर मालवीय, अजय परमार, गोविंद बोड़ाना, संजय सोलंकी, नितेश मालवीय, लखनलाल आंवले और अन्य शामिल थे।