वाराणसी में मंत्री, विधायक और प्रशासन पर उठे सवाल, अपने खर्च से पुल बना रही जनता,8किमी की दूरी होगी कम, हजारों बार गुहार लगाई…
चन्दौली वाराणसी के दानियालपुर में लोगों द्वारा चंदा इकट्ठा करके बांस बल्ली की मदद से एक अस्थायी पुल का निर्माण किया जा रहा है. जहां एक तरफ यह तस्वीर स्थानीय लोगों के दृढ़ इच्छा शक्ति और एकजुटता को दर्शा रही है, तो वहीं दूसरी तरफ यह शासन के कार्यप्रणाली पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है.स्थानीय लोगों ने बताया कि, इस क्षेत्र में वरुणा नदी के एक छोर से दूसरे किनारे जाने के लिए उनके पास इस उपाय के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं हैं. और तो और उन्हें दूसरे किनारे पहुंचने के लिए 8 किलोमीटर घूम कर जाना पड़ता है.
वाराणसी के दानियालपुर क्षेत्र में स्थानीय लोगों द्वारा चंदा इकट्ठा करके बांस बल्ली की सहायता से एक अस्थायी पुल बनाया जा रहा है। “केसरी न्यूज़ 24 मीडिया” ने जब मौके पर मौजूद सोहन लाल पटेल, घुरहू राम यादव से इसकी वजह पूछी तो उन्होंने बताया कि, तकरीबन 15 साल से यहां के जनप्रतिनिधियों से इसकी आवश्यकता के बारे में बताया जा रहा है। लेकिन किसी ने भी अभी तक सुध नहीं ली है।
पूर्व में विधायक, वर्तमान विधायक, सांसद और अन्य जनप्रतिनिधियों से इसके बारे में गुहार लगाई गई लेकिन नदी पार करके दूसरी तरफ जाने के लिए आवश्यक पुल का निर्माण नहीं हो पाया। इसकी वजह से स्थानीय लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। नदी के उस पार पहुंचकर आसानी से बाजार, BHU अस्पताल और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ कॉलेज पहुंचा जा सकता है। अन्य आवश्यकताओं को भी देखते हुए हम सभी ने चंदा लगाकर पैसों को इकट्ठा किया और बांस बल्ली के पुल का निर्माण कर रहे हैं।
नियमित क्लास से बचती है छात्राएं, तो प्रसव पीड़ा के दौरान हो गई महिला की मौत
वहां मौजूद एक छात्र ने बताया कि, नदी के उस पार पहुंच कर आसानी से महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ पहुंचा जा सकता है।
फिलहाल एक तरफ से दूसरी तरफ आवागमन करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसी वजह से कुछ छात्राएं तो नियमित कक्षाएं भी नहीं कर पाती हैं। इसके अलावा वहां मौजूद एक महिला ने यह भी बताया कि, कुछ दिन पहले यहां पर प्रसव पीड़ा के दौरान एक महिला की मृत्यु हो गई थी।
लेकिन अगर यहां पर नदी के उस पार जाने की व्यवस्था होती तो उसे कुछ ही समय में बेहतर चिकित्सा सुविधा के लिए BHU अस्पताल ले जाया जा सकता था। जहां उसकी जान बच जाती. फिलहाल देखना होगा कि स्थानीय लोगों के इस समस्या का कब तक समाधान हो पता है।
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