A2Z सभी खबर सभी जिले कीअन्य खबरे

शिक्षा विद ज्योतिबा फूले की जयंती धूमधाम से मनाई गई

जौनपुर,समाजवादी पार्टी जौनपुर के तत्वाधान में प्रातः 10 बजे प्रख्यात समाज सुधारक, शिक्षाविद महात्मा ज्योतिराव गोविन्दराव ज्योतिबा फुले जी की जयंती सांसद जौनपुर कार्यालय शुक्ला ट्रांसपोर्ट की गली नईगंज जौनपुर में जिलाध्यक्ष राकेश मौर्य की अध्यक्षता में समारोह पूर्वक मनाई गई।
सर्वप्रथम उपस्थित सपाजनों ने महात्मा ज्योतिबा फुले जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए उन्हें नमन किया तथा उनके विचारों को आत्मसात करने का पुनः संकल्प लिया।
जिलाध्यक्ष राकेश मौर्य की अध्यक्षता में गोष्ठी आयोजित कर उनके जीवन पर चर्चा करते हुए उनके कार्यों को याद किया गया।
जिलाध्यक्ष राकेश मौर्य ने कहा कि
जिन्हें महात्मा फुले के नाम से भी जाना जाता है। उनका पूरा नाम जोतिराव गोविंदराव फुले था। उन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों, महिलाओं, दलितों एवं पिछड़े वर्ग के उत्थान तथा सामाजिक जड़ताओं व कुरीतियों को दूर करने के लिए समर्पित कर दिया। महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल, 1827 को पुणे में हुआ था। उनका परिवार कई पीढ़ी पहले सतारा से पुणे आकर फूलों के गजरे आदि बनाने का काम करने लगा था। माली के काम में लगे ये लोग फुले के नाम से जाने जाते थे। ज्योतिबा फुले का जीवन और उनके विचार व महान कार्य आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बने हुए हैं।
वर्ष 1841 में उनका दाखिला स्कॉटिश मिशनरी हाईस्कूल, पुणे में हुआ, जहां से उन्होंने अपनी शिक्षा प्राप्त की। महात्मा ज्योतिबा फुले की विचारधारा स्वतंत्रता, समानता और समाजवाद पर आधारित थी। महात्मा ज्योतिबा फुले थॉमस पाइन की किताब ‘द राइट्स ऑफ मैन’ से बहुत ज्यादा प्रभावित थे, उनका मानना था कि समाज की बुराइयों से निपटने का एकमात्र जरिया स्त्रियों, निम्न वर्ग के लोगों को शिक्षा प्रदान करना है। महात्मा ज्योतिबा फुले ने तृतीया रत्न (1855), पोवाड़ा: छत्रपति शिवाजीराज भोंसले यंचा (1869), गुलामगिरि (1873), शक्तारायच आसुद (1881) आदि पुस्तकों को लिखा। वर्ष 1873 में उन्होंने अपने अनुयायियों के साथ मिलकर सत्यसोधक समाज का गठन किया।
ज्योतिबा फुले जी महिलाओं को स्त्री-पुरुष भेदभाव से बचाना चाहते थे। इसके लिए स्त्रियों को शिक्षित करना बेहद आवश्यक था। उन्होंने अपनी पत्नी में पढ़ाई के प्रति दिलचस्पी देखकर उन्हें पढ़ाने का मन बनाया और प्रोत्साहित किया। सावित्रीबाई ने अहमदनगर और पुणे में टीचर की ट्रेनिंग ली। उन्होंने साल 1848 में पुणे में लड़कियों के लिए देश का पहला महिला स्कूल खोला। इस स्कूल में उनकी पत्नी सावित्रीबाई पहली शिक्षिका बनीं।

समाज सुधार के इन अथक प्रयासों के चलते 1888 में मुंबई की एक विशाल सभा में सामाजिक कार्यकर्ता विठ्ठलराव कृष्णजी वांडेकर द्वारा उन्हें महात्मा की उपाधि दी गई।
आज हम सभी को शिक्षा जरूर ग्रहण करनी चाहिए।
इस अवसर पर गोष्ठी को संबोधित करने वालों में पूर्व विधायक लालबहादुर यादव, पूर्व विधायक श्रद्धा यादव, पूर्व ज़िला पंचायत अध्यक्ष राजबहादुर यादव, वरिष्ठ नेता दीपचंद राम, महेंद्र यादव, नैपाल यादव, अमित यादव, मनोज कुमार मौर्य, अनुज दुबे, राहुल त्रिपाठी, दिलीप प्रजापति, अमित गौतम, ऋषि यादव, अरुण गौतम वीरेंद्र यादव, राम अकबाल यादव, रामू मौर्य, धर्मेंद्र सोनकर सहित सैकड़ों सपाजन उपस्थित रहे।
गोष्ठी का संचालन ज़िला उपाध्यक्ष श्यामबहादुर पाल ने किया ।


Discover more from Vande Bharat Live Tv News

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

राज कुमार सेठ

मैं एक प्राइवेट टीचर हूँ। पत्रकारिता मेरा शौक है।
Back to top button
error: Content is protected !!