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बैतूल में अनोखी शादी में रेलवे पुलिस का संवेदनशील चेहरा लाया सामने

बैतूल में अनोखी शादी ने रेलवे पुलिस का संवेदनशील चेहरा लाया सामने
स्टेशन पर लडक़ी ने लडक़े को देखा और तय हुई शादी
नागपुर रेल मंडल की पहली कुली की शादी में आरपीएफ, जनप्रतिनिधि और पहुंचे शहर के गणमान्य
बैतूल। वर्ष 2011 में अपने पिता का कुली का बिल्ला हासिल कर नागपुर रेल मंडल की पहली महिला कुली बनने के लिए कठिन संघर्ष करने वाली दुर्गा बोरकर का विवाह आज आरपीएफ, समाजसेवी, जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में सम्पन्न हुआ। संभवत: यह पहली शादी है जिसमें वर पक्ष को वधु की सारी शर्ते स्वीकार थी। फिर चाहे वह शादी के बाद भी रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करने की हो या फिर अपनी बड़ी बहन की 6 वर्ष की बेटी मुस्कान को भी साथ रखने की। दुर्गा बोरबार महिला शक्ति का ऐसा उदाहरण है जिसने कभी हार नहीं मानी। गुरुवार शाम को दुर्गा की विदाई आरपीएफ टीआई बनकर सहित उनके स्टाफ एवं समाजसेवियों ने की। इसके पहले दो दिनों तक रेलवे स्टेशन पर दुर्गा के विवाह की अन्य रस्में निभाई गई। आठनेर निवासी सुरेश भूमरकर ने अपनी मां एवं परिवार के अन्य सदस्यों को दुर्गा के साथ विवाह के लिए तमाम शर्तों से अवगत कराया और सभी की सहमती से 29 फरवरी को धूमधाम से दुर्गा सुरेश का विवाह आरपीएफ बैतूल एवं बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति के सांझा प्रयास से सम्पन्न हुआ।
ऐसे तय हुआ रिश्ता
आरपीएफ बैतूल में पदस्थ हेड कांस्टेबल फराह खान और दुर्गा का अपने अपने काम की वजह से रेलवे स्टेशन पर ही ज्यादा वक्त बीतता है। यही वजह रही की दोनों में गहरी दोस्ती हो गई। फराह ने दुर्गा को शादी करने के लिए प्रेरित किया ताकि भविष्य में उसका भी एक परिवार हो। जब आरपीएफ एएसआई दीपक देशमुख के पैतृक गांव निवासी सुरेश भूमरकर के लिए योग्य लडक़ी देखने की बात सामने आई तो श्री देशमुख ने दुर्गा का नाम सुझाया और बात आगे बड़ी। टीआई राजेश बनकर ने भी फराह एवं दीपक देशमुख की पहल में साथ दिया और दुर्गा की शादी कराने का फैसला लिया। सगाई की रस्म के साथ ही जिले के समाजसेवियों का सहयोग भी दुर्गा को बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति की पहल पर मिला। सुरेश के मामा के घर पर सगाई की रस्म निभाई गई और आरपीएफ एवं समाजसेवी धीरज बोथरा के सहयोग से सगाई की रस्म सम्पन्न हुई।
वेटिंग रुम में पूरी हुई हल्दी मेंहदी की रस्में
सगाई के बाद 29 फरवरी को शादी की तारीख तय हुई। 28 फरवरी को मेंहदी की रस्म दोपहर में आरपीएफ थाने एवं वेटिंग रुम में हुई तो शाम को हल्दी की रस्म में सांसद डीडी उईके, आरपीएफ टीआई राजेश बनकर, दीपक देशमुख, फराह खान, भारत पदम, गौरी बालापुरे पदम, सहित मेहरप्रभा परमार, रेखा अतुलकर, सुनिता अतुलकर, प्रचिति कमाविसदार, श्रीमती शकुन शामिल हुई। धूमधाम से हल्दी की रस्म पूरी हुई।
विधायक हेमंत खण्डेलवाल और समाजसेवियों का मिला आशीर्वाद
बैतूल की इस साहसी बेटी को आशीर्वाद देने विधायक हेमंत खण्डेलवाल, जिला भाजपा अध्यक्ष बबला शुक्ला, सुधाकर पंवार भी मंडप में पहुंचे और विवाह के लिए आर्थिक मदद भी की। विधायक श्री खण्डेलवाल ने इस अवसर पर कहा कि दुर्गा को पूरे बैतूल को नाज है जिसने स्वाभिमान के साथ साथ कठिन परिश्रम से संघर्ष और सफलता की मिसाल पेश की। इस अवसर पर समाजसेवी धीरज हिराणी एवं अन्य लोगों ने भी दुर्गा के विवाह के लिए सहयोग दिया। आरपीएफ द्वारा इस विवाह को सफल बनाने के लिए पंडाल, भोजन एवं अन्य वह सभी व्यवस्थाएं की जो एक परिवार अपनी बेटी के विवाह के लिए करता है। दुर्गा के विवाह में मंजीत फराह खान, हरविंदर, बोसिंदर पासवान, धर्मेन्द्र, पूजा आरपीएफ स्टाफ के अलावा आरपीएफ थाना प्रभारी आमला प्रमोद पाटील, दिलीप नरवरे, कुलदीप, श्री रघुवंशी, मोनू सोनकपुरिया सहित अन्य लोगोंं का भी सहयोग रहा।
शादी से पहले ससुराल पहुंची दुर्गा
दुर्गा अपनी शादी को लेकर निर्णय नहीं ले पा रही थी, शादी को लेकर वह सभी के समझाने के बावजूद आशंकित भी थी। वर पक्ष द्वारा दुर्गा की तमाम शर्तें मानने के बाद भी दुर्गा इस विवाह के पहले अपने शुभचिंतकों की राय लेकर शादी के पहले ससुराल देखने की इच्छा जताई। सुरेश और उसके परिवार को दुर्गा शर्त पर भी कोई एतराज नहीं था। शादी के 15 दिन पहले दुर्गा अपने ससुराल पहुंची और घर परिवार के साथ करीब 4 घंटे का वक्त बिताया। पूरी तरह से संतुष्ट होने के बाद दुर्गा आखिर विवाह के लिए सहमत हुई और आरपीएफ एवं समाजसेवियों की पहल से दुर्गा 29 फरवरी को अपने ससुराल विदा हुई। इस पूरे विवाह में कई रोचक पहलु भी है उनमें से एक यह भी है कि दुर्गा अपनी विवाह की सालगिरह चार साल में एक बार मना पाएंगी। क्योंकि अब 29 फरवरी चार साल बाद ही आएगी।

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