
सराय अकिल थाना क्षेत्र के अंतर्गत पिपरहटा में मौजूद आशा की माना मानी दिखने को मिली।
नेवादा ब्लाक स्तर पर गठित आशा शिकायत निवारण तंत्र में पहुंचने वाली शिकायतों को अब 48 घंटे में ही हल कर दिया जाएगा। शासन ने जिला स्तरीय अधिकारियों व ब्लाक स्तरीय अधिकारियों को आशा बहू की शिकायतों को गंभीरता से लेने व तय समय में उनकी शिकायतों का हल निकालने के निर्देश दिए हैं।आशा बहू की शिकायतों पर कान बंद रखने वाले स्वास्थ्य विभाग ने तीन माह पूर्व शासन के निर्देश पर आशा शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना की थी। इसके तहत प्रदेश स्तर से लेकर, जिला व ब्लाक स्तर पर कई समितियां बनाई गई थीं। साथ ही जिला मुख्यालय व ब्लाक स्तर पर शिकायत पेटिकाएं भी लगवाई गई थी। आशा निवारण तंत्र की स्थापना के साथ ही समितियों के सदस्यों को जिम्मेदारी दी थी कि वह आशा बहू की शिकायतों को गंभीरता से लें और जल्द से जल्द निस्तारण करें। जिला स्तर पर आशा शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना के बाद से ही आशा बहू की सैकड़ों शिकायतें आने लगी थी। इन शिकायतों में अधिकतर शिकायतें वह भी जिनमें आशा बहू का समय से भुगतान न होने व भुगतान में वसूली की शिकायतें थी। आशा शिकायत निवारण तंत्र के नेवादा सचिओ ने बताया कि जिन आशा बहू की शिकायतों का निस्तारण ब्लाक स्तर पर नहीं हो रहा है वह जिला मुख्यालय पर आकर शिकायत कर सकती हैं। कौशांबी जिला मुख्यालय पर आने वाली शिकायतों का 48 घंटे में निस्तारण करा दिया जाएगा।तीन माह में 36 शिकायतें हुई निपटी आशा शिकायत निवारण तंत्र के सचिव बनाए गए डीसीपीएम ब्लॉक नेवादा सचिव ने बताया कि तीन माह में उनके पास आशा बहू की 36 शिकायतें पहुंची है। जिनमें सभी शिकायतों का निस्तारण किया जा चुका है। जो भी शिकायत उन तक पहुंची है उनमें ज्यादातर शिकायत पीपरहटा गांव से है जहा उमेश चंदन कुमार प्रदीप कुमार शीलादेवी रूकमणिया गायत्री सुषमा पवन कुमार सूरत कुमार ने किया है वन्दे भारत लाइव टीवी न्यूज कौशांबी खास बातचीत में ग्रामीणों ने बताया आशा अपने मर्जी से काम करती हैं हर बच्चे के पीछे 50-50 रूपये गांव में घूम घूम के लगाएं जा रहा है टीका शिकायत करने के बाद भी कोई फर्क नहीं पड़ता है नेवादा ब्लॉक के पिपरहटा गांव में मौजूद आशा साखी राजकली को कोई फर्क नहीं पड़ता है 104 पर शिकायत करने वाले व्यक्ति को कौशांबी जिले में कोई मतलब नही निकलता है योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा गठित समिति द्वारा संचालित आशा को कोई फर्क नहीं पड़ता है। जिला संपादक सूरज श्रीवास्तव कौशाम्बी।