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संजय गांधी अस्पताल रीवा में बोनमैरो ट्रांसप्लांट यूनिट स्थापित की जाएगी।

शासन की स्वीकृत के लिए भेजा गया प्रस्ताव।

थैलेसीमिया बीमारी से जूझ रहे बिंध्य के मरीजों के लिए खुशी की खबर है। थैलेसीमिया एक अनुवांशिक रक्त रोग है इस रोग के कारण रक्त /हीमोग्लोबिन के कार्य में गड़बड़ी होने के कारण रोगी व्यक्ति को बार-बार रक्त चढ़ाना पड़ता है। भारतवर्ष में हर वर्ष 7 से 10 हजार बच्चे थैलेसीमिया से पीड़ित पैदा होते हैं। यह रोग अनुवांशिक होने के कारण पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार में चलती रहती है। इस रोग में शरीर में लाल रक्त कण (आर.बी.सी.) नहीं बन पाते ।

बोनमैरो ट्रांसप्लांट कराने में खर्च – 

थैलीसीमिया बीमारी से जूझने वाले मरीजों के लिए एक ही इलाज है वह है बोन मैरो ट्रांसप्लांट । बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराने के बाद इस बीमारी से मुक्ति मिल जाती है। इस बीमारी में सरकारी अस्पताल में बोन मैरो ट्रांसप्लांट कराने में 20 लाख तक का खर्च आता है। एवं प्राइवेट अस्पताल में एक करोड़ से पार पहुंच जाता है।

एस जी एम एच में 150 मरीज रजिस्टर्ड –

थैलीसीमिया से पीड़ित मरीज की संख्या विंध्य में अधिक है। एस जी एम एच में करीब 150 मरीज रजिस्टर्ड है। जिन्हें अस्पताल से निः शुल्क ब्लड उपलब्ध कराया जाता है। इन्हें हर महीने या 2 से 3 महीने में ब्लड की जरूरत पड़ती है।

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