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बारिश होते ही क्यों आती है सौंधी सी खुशबू………..

बारिश के बाद हवा में फैलती हुई सौंधी सी खुशबू हम सभी को लुभाती है. यह खुशबू नेचर के साथ हमारे जुड़ाव को मजबूत करती है. हम अक्सर सोचते हैं कि यह खुशबू मिट्टी और पानी के मिलने से पैदा होती है, लेकिन क्या यह सच है? आइए जानते हैं इस खुशबू के पीछे की असली साइंस क्या है.

छत्तीसगढ़/कोरबा ब्यूरो: बारिश की पहली बूंदों के साथ ही हवा में एक अनोखी खुशबू फैल जाती है, जिसे हम सभी पसंद करते हैं. यह खुशबू हमें ताजगी का एहसास कराती है और हमारे मन को खुश करती है. लिटरेचर में बारिश की इस सुगंध का काफी जिक्र किया गया है. अक्सर लोग सोचते हैं कि यह सौंधी सी खुशबू मिट्टी और बारिश के पानी के मिलने से आती है, लेकिन ऐसा नहीं है. क्या आपने कभी सोचा है कि यह सुगंध कहां से आती है? आइए इस रहस्यमयी खुशबू के बारे में जानते हैं

बारिश के बाद सौंधी सी खुशबू को हम महसूस तो बहुत करते हैं, मगर शायद आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि साइंटिस्ट्स ने इस सुगंध का नाम भी रखा है. इस खुशबू का साइंटिफिक नाम ‘पेट्रीकोर’ (Petrichor) है. इसे पहली बार 1960 के दशक में दो ऑस्ट्रेलियाई रिसर्चर्स ने नाम दिया था. यह खुशबू धरती के नम होने से आती है. आइए इस अनोखी और रहस्यमयी खुशबू के पीछे की साइंस पर करीब से नजर डालते हैं.

‘पेट्रीकोर’ कहां से आया?

ऑस्ट्रेलियाई साइंटिस्ट्स इसाबेल जॉय बियर और रिचर्ड ग्रेनफेल थॉमस ने 1964 में ‘पेट्रीकोर’ शब्द गढ़ा. ‘पेट्रीकोर’ शब्द दो ग्रीक शब्दों- ‘पेट्रोस’ और ‘इचोर’ को मिलाकर बना है. ‘पेट्रोस’ का मतलब ‘पत्थर’ है, जबकि ‘इचोर’ शब्द का इस्तेमाल ग्रीक पौराणिक कथाओं में देवताओं की नसों में बहने वाले तरल पदार्थ के लिए किया जाता है. इस शब्द को धरती और हवा के बीच के संबंध पर जोर देने के लिए चुना गया था, जो बारिश के दौरान खुशबू के निकलने के लिए जिम्मेदार है

साइंटिस्ट्स ने बारिश की खुशबू और इसके लिए जिम्मेदार केमिकल कंपाउंड पर अपने रिसर्च को नेचर जर्नल में पब्लिश किया है. स्टडी के लिए बेयर और थॉमस ने सूखी मिट्टी पर बारिश होने से पैदा होने वाली मिट्टी की खुशबू की जांच की. उन्होंने दो मेन कंपाउंड, जियोस्मिन और 2-मेथिलिसोबोर्नियोल की पहचान की, जो मिट्टी के बैक्टीरिया से पैदा होते हैं. पेट्रीकोर खुशबू को बनाने में ये सबसे बड़े जिम्मेदार हैं.

बेयर और थॉमस के रिसर्च से बहुत पहले बारिश की खुशबू और पेट्रीकोर की घटना की जानकारी दुनिया को थी. लेकिन ये दोनों ही थे जिन्होंने इसे अपनी रिसर्च के बलबूते साबित किया और साइंटिफिक लिटरेचर में इसका नाम दिया. उनके काम ने बारिश की खुशबू के पीछे की केमिस्ट्री को समझने में अहम योगदान दिया.

पेट्रीकोर कैसे होता है?

बारिश के साथ आने वाली खुशबू कई चीजों से पैदा हो सकती है, जिसमें बारिश की बूंदें भी शामिल हैं. बारिश की महकती खुशबू की असल वजह बैक्टीरिया है. एक्टिनोमाइसेट्स, एक प्रकार का फिलामेंटस बैक्टीरिया है, जो मिट्टी में तब बढ़ता है जब हालात नम और गर्म होते हैं. जब मिट्टी सूख जाती है, तो बैक्टीरिया मिट्टी में स्पोर पैदा करते हैं.

बारिश की नमी और दबाव इन छोटे स्पोर को हवा में ऊपर ले जाते हैं, जहां बारिश के बाद नमी एरोसोल (एयरोसोल एयर फ्रेशनर की तरह) के तौर पर काम करती है. नम हवा आसानी से स्पोर को हमारे पास ले जाती है, इसलिए हम उन्हें सांस के जरिए अंदर लेते हैं. इन स्पोर में एक खास, मिट्टी जैसी खुशबू होती है, जिसे हम अक्सर बारिश से जोड़ते हैं.

‘बारिश की खुशबू’ बैक्टीरिया में मौजूद जियोसिन नामक केमिकल की वजह से होती है, जो बैक्टीरिया के मरने पर निकलता है. जियोसिन एक प्रकार का अल्कोहल मॉलिक्यूल है जिसकी खुशबू बहुत तेज होती है. बैक्टीरिया बेहद आम हैं और दुनिया भर के इलाकों में पाए जा सकते हैं. इसलिए दुनिया के लगभग हर इलाके में आप ‘बारिश के बाद’ वाली इस मीठी खुशबू का मजा ले सकते हैं.

बैक्टीरिया नम मिट्टी में पनपते हैं, लेकिन मिट्टी के सूख जाने पर स्पोर छोड़ते हैं, इसलिए सूखे के बाद होने वाली बारिश से खुशबू तेजी के साथ आती है. हालांकि, आप ज्यादातर बारिश के बाद इसे कुछ हद तक महसूस करेंगे.

ब्रेकथ्रू रेनड्रॉप स्टडी

2015 में की गई एक स्टडी में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के रिसर्चर्स ने एक सिस्टम का पता लगाया. यह समझा सकता है कि कैसे बारिश की बूंदें एरोसोल छोड़ती हैं और संभावित तौर पर मिट्टी से खुशबूदार एलिमेंट्स, बैक्टीरिया और वायरस को पर्यावरण में ले जाती हैं. हाई स्पीड कैमरों का इस्तेमाल करते हुए साइंटिस्ट्स ने देखा कि जब एक बारिश की बूंद छेदों से भरी सतह से टकराती है, तो टकराने के बिंदु पर छोटे हवा के बुलबुले को फंसाती है.

ये बुलबुले फिर ऊपर की ओर बढ़ते हैं और बारिश की बूंद से फट जाते हैं, जिससे एरोसोल का एक बादल बन जाता है. रिसर्चर्स का मानना ​​है कि नेचुरल एनवायरनमेंट में ये एरोसोल एरोमैटिक कंपाउंड के साथ-साथ मिट्टी से माइक्रोऑर्गेनिज्म और केमिकल को भी ले जा सकते हैं. हल्की या मध्यम बारिश इस एरोसोल रिलीज को उकसा सकती है, जिसे फिर हवा से फैलाया जा सकता है.

इस रिसर्च का असल मकसद यह समझने के लिए है कि मिट्टी आधारित बीमारियां कैसे फैलती हैं और पर्यावरण में अलग-अलग कंपाउंड कैसे फैलते हैं.

बारिश से जुड़ी अन्य आम खुशबू

पेट्रीकोर, बारिश से जुड़ी एकमात्र खुशबू नहीं है. बारिश की एसिडिटी की वजह से एक और खुशबू होती है. वातावरण में केमिकल की वजह से बारिश का पानी कुछ हद तक एसिडिक होता है, खासकर शहरी माहौल में. जब यह जमीन पर ऑर्गेनिक मलबे या केमिकल के संपर्क में आता है, तो यह खास तौर पर खुशबूदार रिएक्शन पैदा कर सकता है. यह मिट्टी को तोड़ता है और अंदर फंसे मिनरल्स को रिलीज करता है, जो पेट्रोल जैसे केमिकल के साथ रिएक्ट करते हैं, जिससे उन्हें एक स्ट्रॉन्ग स्मेल मिलती है.

ये रिएक्शन आम तौर पर बैक्टीरिया के स्पोर की तुलना में कम सुगंधित खुशबू पैदा करते हैं. यही वजह है कि बारिश के बाद की खुशबू हमेशा अच्छी नहीं होती है. बैक्टीरिया के स्पोर की वजह से होने वाली खुशबू की तरह केमिकल रिएक्शन की खुशबू पर सबसे ज्यादा ध्यान तब जाता है जब सूखे के बाद बारिश होती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि एक बार जब सूखी जमीन पर केमिकल एक मूसलाधार बारिश से पतले हो जाते हैं, तो वे बारिश के पानी के साथ वैसा रिएक्शन नहीं करते हैं.

कई पौधे और पेड़ तेल छोड़ते हैं. ये तेल फिर चट्टानों जैसी सतहों पर इकट्ठा हो जाता है. बारिश चट्टानों पर मौजूद तेल के साथ रिएक्ट करती है और इसे हवा के जरिए गैस के रूप में ले जाती है. इस तेल की वजह से भी बारिश होने पर खुशबू आती है. यह खुशबू बैक्टीरिया के स्पोर की तरह होती है, जिसे ज्यादातर लोग फ्रेश सेंट मानते हैं.

हम बारिश की खुशबू का आनंद क्यों लेते हैं?

इंसान अक्सर बायोलॉजिकल और साइकोलॉजिकल, दोनों वजहों से बारिश की खुशबू का आनंद लेते हैं. कुछ साइंटिस्ट्स अनुमान लगाते हैं कि इंसानों ने बारिश की खुशबू के लिए एक लगाव विकसित किया होगा क्योंकि यह सूखे के अंत और ताजे पानी की मौजूदगी का इशारा देती है. हमारे इतिहास में जिंदा रहने के लिए साफ पानी का होना बहुत जरूरी रहा है. इसलिए बारिश की खुशबू के लिए आकर्षण फायदेमंद हो सकता था.

गर्म मौसम से राहत और अच्छी फसल के लिए बारिश बहुत जरूरी है. जब लोग घर के अंदर होते हैं तो बारिश उन्हें सुकून का एहसास करा सकती है. इसके अलावा यह बचपन की सुखद यादों, घर के अंदर बिताए आरामदायक दिनों या रोमांटिक पलों को याद दिला सकता है, जिससे यह समझना आसान हो जाता है कि कुछ लोग बारिश को इतनी सुखद खुशबू क्यों मानते हैं.

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