पीलीभीत। कलीनगर तहसील क्षेत्र के गांव चकपुर निवासी किसान बलजीत सिंह ने बताया कि पराली को इकट्ठा करने वाला रैकर बेहद उपयोगी कृषि यंत्र है। जिसका उपयोग धान काटने के बाद खेतों में पड़ी पराली को इकट्ठा करने में किया जाता है। रैकर में लगे हुए दांतों की मदद से पराली को जमीन से उठाया जाता है और एक लाइन में इकट्ठा किया जाता है। लाइनों में इकट्ठी हुई पराली को बैलर से उठाया जाता है। बलजीत सिंह ने बताया कि रैकर कई प्रकार के होते हैं, जैसे कि रोटरी रैकर और रेक रैकर। हर प्रकार के रैकर की अपनी अलग विशेषताएं होती है। रैकर की मदद से पराली को आसानी से इकट्ठा किया जा सकता है। खेत को साफ सुथरा रखने में मदद मिलती है। पराली को जलाने से प्रदूषण होता है। पराली को खाद बनाने के लिए खेतों में ही छोड़ देने से पराली मिट्टी की उर्वरकता को बढ़ाती है। इससें पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने में मदद मिलती है। अगर खेत समतल है तो रैकर आसानी से काम कर सकता है। आमतौर पर 1 घंटे में एक रैकर 8 से 10 एकड़ तक के क्षेत्रफल तक की पराली इकट्टा कर सकता है। रैकर को चलाने के लिए 25 से 30 हॉर्स पावर ट्रैक्टर की आवश्यकता होती है। बैलर पहले पराली को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटता है फिर यह कटी हुई पराली को एक चेंबर में एकत्रित करता है। एक निश्चित मात्रा में पराली एकत्र करने के बाद बैलर उसे एक मजबूत रस्सी या तार से बांधकर एक गट्ठा बना देता है। अंत में यह गट्ठा चैंबर से बाहर निकाल दिया जाता है।
2,536 1 minute read