Jharkhand Election Result : पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन (जो कोल्हान टाइगर के नाम से भी जाने जाते हैं) के झामुमो छोड़ कर भाजपा में आने से अनुमान लगाया जा रहा था कि झारखंड के विधानसभा चुनाव में झामुमो को इसका बड़ा नुकसान होगा. लेकिन लोकनीति-सीएसडीएस के सर्वे साफ तौर पर इंगित करते हैं कि आदिवासी वोटों के झामुमो और उसके सहयोगी दलों के पक्ष में हुए ध्रुवीकरण ने इंडिया गठबंधन की जीत में मदद की.
आदिवासी समुदाय की मुख्य पसंद इंडिया गठबंधन रही
निष्कर्ष बताते हैं कि आदिवासी समुदाय के सभी समूहों ने इंडिया गठबंधन को समान संख्या में वोट नहीं दिया, लेकिन कुल मिलाकर यह गठबंधन ही उनकी मुख्य पसंद था. उरांव समुदाय ( राज्य में अनुसूचित जनजाति की कुल आबादी में जिसकी हिस्सेदारी 20 फीसदी है) की तीन चौथाई, यानी 72 फीसदी आबादी ने इंडिया गठबंधन, तो मुंडा समुदाय ( अनुसूचित जनजाति की कुल आबादी में जिसकी हिस्सेदारी 15 फीसदी है) के हर 10 में से छह मतदाताओं (60 प्रतिशत) ने इंडिया गठबंधन को वोट दिया. संताल समुदाय, जो राज्य में सबसे बड़ा आदिवासी समूह है और कुल आदिवासी आबादी में जिसकी हिस्सेदारी 32 प्रतिशत है, बंटा हुआ था. इस समूह के 48 फीसदी वोटरों ने एनडीए गठबंधन को और 42 प्रतिशत मतदाताओं ने इंडिया गठबंधन को वोट दिया. दूसरे छोटे आदिवासी समूहों में 55 प्रतिशत ने इंडिया गठबंधन को, जबकि हर 10 में से तीन (31 फीसदी) ने एनडीए गठबंधन को वोट दिया. जिस राज्य में आदिवासी वोट कुल आबादी की एक चौथाई से ज्यादा (27 प्रतिशत) हो, वहां किसी भी पार्टी की चुनावी जीत में इस समुदाय का समर्थन बहुत जरूरी है.
मुस्लिमों ने एकजुट होकर किया इंडिया गठबंधन के लिए वोट
इंडिया गठबंधन की जीत में जिस चीज ने बड़ा योगदान किया, वह यह था कि एकजुट मुस्लिम वोट इसके पक्ष में ध्रुवीकृत हो गया. यहां यह रेखांकित करना महत्वपूर्ण है कि 15 फीसदी मुस्लिम आबादी वाले झारखंड में हर 10 में से नौ मतदाताओं (90 प्रतिशत) ने इंडिया गठबंधन को वोट दिया, जिससे इस गठबंधन की एनडीए पर निर्णायक बढ़त बनी. जबकि 12 प्रतिशत दलित वोट कमोबेश दोनों गठबंधनों के बीच बंटा हुआ रहा. अगर एनडीए ने सवर्णों और ओबीसी का ज्यादा वोट हासिल नहीं किया होता, तो उसकी हार का अंतर और बड़ा होता.
ओबीसी समुदाय के बड़े भाग ने किया एनडीए गठबंधन को वोट
ओबोसी समुदाय के, जो राज्य के कुल मतदाताओं का 45 फीसदी हिस्सा हैं, एक चौथाई हिस्से (26 प्रतिशत) ने आइएनडीआइए गठबंधन, तो 47 फीसदी ने एनडीए गठबंधन के पक्ष में वोट दिया. इस तरह, मुस्लिमों को अगर छोड़ दें, तो आदिवासी और गैर आदिवासी मतदाताओं के बीच हुए ध्रुवीकरण के फर्क ने इंडिया गठबंधन की जीत में मदद की