ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर नकली माल की सप्लाई, पकड़े गए तो हुआ हंगामा चंदौली के पुलिस अधीक्षक से शिकायत करने के बाद जलीलपुर पुलिस की सहायता से दुकान पर छापेमारी किया। जहां भारी मात्रा में कंपनी के डुप्लीकेट सामान बरामद किया गया।
ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर नकली माल की सप्लाई, पकड़े गए तो हुआ हंगामा चंदौली के पुलिस अधीक्षक से शिकायत करने के बाद जलीलपुर पुलिस की सहायता से दुकान पर छापेमारी किया। जहां भारी मात्रा में कंपनी के डुप्लीकेट सामान बरामद किया गया।
ब्रांडेड कंपनियों के नाम पर नकली माल की सप्लाई, पकड़े गए तो हुआ हंगामा
चंदौली के पुलिस अधीक्षक से शिकायत करने के बाद जलीलपुर पुलिस की सहायता से दुकान पर छापेमारी किया। जहां भारी मात्रा में कंपनी के डुप्लीकेट सामान बरामद किया गया
चन्दौली मुगलसराय कोतवाली अंतर्गत कटेसर गांव में एक बिल्डिंग मैटेरियल की दुकान पर एक ब्रांडेड कंपनी के नाम पर डुप्लीकेट पीवीसी पाइप, पानी टंकी सहित अन्य सामान बेचने का मामला प्रकाश में आया है। शनिवार को कंपनी के अधिकारियों ने स्थानीय पुलिस की मदद से लाखों रुपये का सामान जब्त करा लिया। साथ ही दुकानदार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई करने के लिए जलीलपुर पुलिस चौकी और कोतवाली में तहरीर दी है।इस सम्बंध में कंपनी ऑफिसर पौशिक विश्वास ने बताया कि चंदौली जिले में कंपनी के नाम पर डुप्लीकेट सामान बेचे जाने की सूचना मिल रही थी। सामान की जानकारी कर चंदौली के पुलिस अधीक्षक से शिकायत करने के बाद जलीलपुर पुलिस की सहायता से दुकान पर छापेमारी किया। जहां भारी मात्रा में कंपनी के डुप्लीकेट सामान बरामद किया गया। जिसमें पांच पानी टंकी, 10 मोटी पीवीसी पाइप व आठ बंडल यानी 400 पतली पीवीसी पाइप को जब्त कर लिया गया है। कंपनी के अधिकारी की लिखित शिकायत के आधार पर दुकान मालिक के खिलाफ प्राथमिक रिपोर्ट दर्ज जांच के लिए कंपनी की चार सदस्यीय टीम, जिसमें सौरभ नशकर जांच अधिकारी और पौशिक विश्वास सीनियर जांच अधिकारी शामिल थे। जिन्होंने पूरे मामले की जांच की। टीम ने पाया कि दुकान पर नकली टंकियां, बोरवेल पाइप व वाटर सप्लाई की वायरिंग पाइप बेची जा रही थीं। जिसको लेकर जांच टीम ने कापीराइट एक्ट के तहत स्थानीय पुलिस में शिकायत करते हुए कार्रवाई की। जब्त किए गए सामानों में पांच पानी की टंकियां, 10 बोरवेल पाइप, आठ बंडल इस संबंध में दुकान मालिक अश्वनी गुप्ता ने कहा कि हम केवल माल खरीदते हैं, जिसका जीएसटी बिल के आधार पर विक्री करते हैं। हमें यह नहीं पता होता कि कौन-सा सामान असली है और कौन-सा नकली।