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हाइटेक बदमाशों की तरह देते थे चोरी को अंजाम…कोड नेम से बुलाते थे

सिद्धार्थनगर। जिले के साथ ही पूर्वी यूपी में घूमकर चोरी और नकबजनी करने वाले नाइन स्टार गिरोह के सदस्य पढ़े-लिखे कम हैं। लेकिन, घटना को अंजाम हाईटेक बदमाशों की तरह देते थे। इनका कोड नेम भी है। एक से नौ तक गिरोह के सदस्यों के नाम हैं। एक-दूसरे को एक स्टार से नौ तक बुलाते थे।पहले तो इस गिरोह के सदस्य मोबाइल घटनास्थल पर लेकर नहीं जाते थे। वहीं दूसरा रेकी करके तय कर लेता था कि जिस घर में चोरी करने जा रहे हैं, वहां माल भी ठीक मिलेगा और भागने में आसानी होगी। इसके बाद वारदात को अंजाम देते थे। चोरी करने वाले दूसरे रहते थे, जो बोलेरो से निकलते थे और बताए हुए स्थान पर पहुंचकर घटना को अंजाम देते थे। फिर वह जनपद छोड़ देते थे। कुंडी और नकब देसी तरीके से तोड़ते थे। जिससे पुलिस को स्थानीय गैंग पर शक हो। इसके अलावा नाइन स्टार गिरोह के सदस्यों का कोड नेम था।जिले में चोरी की वारदात को हमेशा बाहर का गैंग अंजाम देता है। बीते साल बरेली गैंग पकड़ा गया था, जो हाईटेक तरीके से चोरी की घटना को अंजाम देता था। ताला काटने के लिए इलेक्ट्राॅनिक मशीन का प्रयोग और चलने के लिए पुलिस की मोनोग्राम लगी गाड़ी का इस्तेमाल करते थे। वहीं, लगातार कई वारदात को अंजाम देने के बाद एसओजी, मोहाना और चिल्हिया पुलिस के हत्थे चढ़ा बहराइच का नाइन स्टार गैंग अलग तरह से घटना को अंजाम देता था।

पुलिस की जांच में पता चला कि दरवाजे की कुंडी तोड़ने और नकबजनी करने में सब्बल का प्रयोग करते थे, जो कि 20 से 25 साल पहले चलन में था। वह इसलिए कि पुलिस हाईटेक और नए तरीके से होने वाली चोरी में बाहर के गैंग के पीछे हाथ मारती है। यह पुरानी विधि का प्रयोग करते हैं, जिससे पुलिस को गले के स्थानीय चोर हैं या फिर आसपास के किसी व्यक्ति ने वारदात को अंजाम दिया है। इसलिए पुलिस इन तक जल्द पहुंच नहीं पाती है।पकड़ा गया गैंग बहुत ही शातिर है। पूर्वी यूपी के गोरखपुर, बस्ती, संतकबीरनगर, जौनपुर, वाराणसी में घटना को अंजाम देने के बाद यह सिद्धार्थनगर, बलरामपुर व महाराजगंज से नेपाल सीमा में प्रवेश नहीं करते थे। बल्कि बहराइच अपने गांव जाते थे। यहां रुकते और इसके बाद खीरी के रास्ते नेपाल के नेपालगंज में जाते थे। वहां इनके गिरोह के सदस्य मौजूद रहते थे। जो आभूषण बिक्री करने के लिए दुकान और कीमत सेट किए रहते थे। सौदा होता था। सामान बेच देते थे और एक या फिर दो दिन के बाद किसी दूसरे जनपद में चोरी करने के लिए निकलते थे।पूछताछ में यह सामने आया कि रेकी करने वाले गिरोह के सदस्य के पास मोबाइल फोन होता था। वह सामान बेचने के बहाने कस्बे और आबादी के बाहर वाले मकान और रास्ते को देखता था। घर की महिलाओं के रहन-सहन को देखते हुए अंदाजा लगाता था कि यहां सामान मिल जाएगा। भागने में भी आसानी रहेगी। फिर वह गिरोह के लोगों को सूचना देता था। सुबह सूचना दिया और रात्रि में गिरोह के सदस्य धमक पड़ते थे। हिस्ट्रीशीटर इंदल के साथ तीन से चार लोग घटना वाले स्थान पर जाते थे। एक व्यक्ति गाड़ी में होता था, वहीं दो लोग गांव के उस मार्ग पर बैठ रहते थे, जहां से लोगों के आने- जाने पर जानकारी हो सके। जिससे वह भागकर जानकारी दे दें और लोग निकल जाएं।पुलिस के हाथ लगे मोबाइल में नाइन स्टार गैंग के पीछे एक कोड मिला है। जिसमें नाइन स्टार का मतलब नौ सदस्य हैं। इनमें पांच सिद्धार्थनगर और चार बस्ती पुलिस के हाथ लगे हैं। एक-दूसरे की पहचान के लिए कोड है। जिसमें स्टार वन से शुरू होकर स्टार नाइन तक है। यह गिरोह बहराइच और खीरी के बाॅर्डर पर कछार एरिया के हैं। इस गैंग को लीड करने का काम इंदल करता था। लूट के समय मारने के लिए अलावा वाहन से चलना, रेकी करना आदि सब बावरिया गिरोह से मिलता जुलता है।पकड़े गए आरोपियों में इंदल चौहान निवासी टिकुरी मौजा अरनवा, विनोद कुमार, संबारी निवासी टिकुरी मौजा अरनवा थाना खैरीघाट, बछराम निवासी गांव दल्लापुरवा पुलिस चौकी खैरी थाना बेहडा, नंदकिशोर निवासी अड़गोडवा थाना मोतीपुर जिला बहराइच बताया है।सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी ने कहा कि अगर हिस्ट्रीशीटर थे तो जिसे थाने में हिस्ट्रीशीट खुली है। वहां की पुलिस को जांच जरूर करना चाहिए। इनमें बीट दरोगा के साथ बीट सिपाही जांच करने के लिए जाते हैं। जानकारी लेते हैं कि घर पर है कि नहीं है। अगर नहीं है तो कहां गया है। जहां गया रहता है, उस थाने को सूचित करना होता है। तीन हिस्ट्रीशीटर घूमकर अपराध कर रहे हैं, यानि स्थानीय स्तर पर बहराइच जनपद के संबंधित थाने की बड़ी चूक है। ठंड में और जांच होनी चाहिए, नियमित देखा जाना चाहिए। क्योंकि, इस मौसम में चोरी की घटनाएं अधिक होती है। पुलिस की निगरानी में शिथिलता के कारण यह लोग घूम रहे हैं।

बोले जिम्मेदार

जनपद की पुलिस की सक्रियता से बहराइच का गैंग पकड़ा गया है। पुलिस पूरी तरह से अलर्ट है और नियमित गश्त की जा रही है।

– सिद्धार्थ, अपर पुलिस अधीक्षक


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