
लोकसभा में नियम 377 के तहत सांसद जगदंबिका पाल ने एक गंभीर पर्यावरणीय मुद्दे को उठाया। उन्होंने बताया कि कश्मीर के चिनार, उत्तर प्रदेश के शीशम और साल के पेड़ों की संख्या में भारी गिरावट आई है। जो चिंता का विषय है।
सदन में पाल ने कहा कि पिछले 50 वर्षों में शहरीकरण, अवैध कटाई और बीमारियों के कारण चिनार के पेड़ों की संख्या आधी रह गई है। उत्तर प्रदेश में भी शीशम और साल
के जंगल गंभीर खतरे में हैं। घटता भूजल स्तर, वनों की अंधा-धुंध कटाई और विभिन्न रोग इसके प्रमुख कारण हैं।
मूल्यवान प्रजातियों के संरक्षण पर दिया जाए जोर
सांसद ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन की पहल की सराहना की। जहां चिनार के संरक्षण के लिए जियो टैगिंग और क्यूआर कोडिंग जैसी आधुनिक तकनीकों का प्रयोग किया जा रहा है। उन्होंने मांग की कि इन तकनीकों का विस्तार उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भी किया जाए।
- जगदंबिका पाल ने इन मूल्यवान प्रजातियों के संरक्षण के लिए एक व्यापक कार्ययोजना बनाने का आग्रह किया। उन्होंने शीशम और साल की नर्सरी स्थापना, जियो-टैगिंग और जन जागरूकता अभियान चलाने का सुझाव दिया। साथ ही, आधुनिक तकनीक और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से इन पेड़ों के संरक्षण पर जोर दिया।