
न्यूज प्रकाशनार्थ
आर .टी.आई. में हुआ सनसनीखेज खुलासा.
मध्यप्रदेश पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों ने भक्षण किया तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों का समयमान वेतनमान.
हाईकोर्ट की शरण में पहुंचे कर्मचारी.
मध्यप्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से सूचना के अधिकार में ली गई जानकारी में एक बेहद गंभीर एवं सनसनीखेज मामले का खुलासा हुआ है। जिसमें विभाग के प्रथम एवं व्दितीय श्रेणी के अधिकारियों ने संगठित होकर विभाग के तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों के समयमान वेतनमान का सुनियोजित षडयंत्र कर भक्षण कर लिया है। भक्षण भी इतने शातिराने ढंग से किया गया कि उसकी तह तक पहुंचने के लिए सैंकडों पृष्ठों की जानकारी लेनी पड़ी जिसके लिए माननीय सूचना आयोग तक की शरण लेनी पड़ी और काफी समय लग गया।
स्नातक स्तर एवं सीधी भर्ती से 1983 में म.प्र. के ग्रामीण विकास विभाग में भर्ती किए गये 2000 सहायक विकास विस्तार अधिकारियों को अपनी 30 से 38 वर्षों की सेवामें विभाग के दोगले अधिकारियों ने पहले तो एक भी प्रमोशन नहीं मिलने दिया और फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पालन में मध्यप्रदेश शासन ने 01/04/2006 से शुरू की समयमान वेतमान योजना कि ऐसे कर्मचारी जिन्हें सारे सेवाकाल में कोई प्रमोशन नहीं दिया गया उन्हें प्रमोशनल पद का वेतनमान इस योजनांतर्गत उपलब्ध कराया जाए। इसके लिए मध्यप्रदेश शासन ने 24/01/2008 को परिपत्र जारी कर प्रदेश के विभिन्न विभागों को अपने विभाग के सीधी भर्ती से चयनित कर्मचारियों को सीधी भर्ती के प्रमोशनल पद का वेतनमान,समयमान वेतनमान के रूप में उपलब्ध करवाने की प्रक्रिया का स्पष्ट उल्लेख, परिपत्र की कंडिका 04 में किया गया है। जिसके अनुसार विभागों को सीधी भर्ती के पदों का समयमान वेतनमान वित्त विभाग से परिपत्र के परिशिष्ट-2 में यथाशीघ्र स्वीकृत कराना आवश्यक था। परंतु प्रदेश के ग्रामीण विकास विभाग के प्रथम एवं व्दितीय श्रेणी के अधिकारियों ने विभाग में उपरोक्तानुसार समयमान वेतनमान योजना लागू करने से अपने-आपको ना के बराबर लाभ मिलता देख और समयमान वेतनमान योजना का सारा लाभ तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों को मिलता देख, विभाग में समयमान वेतनमान योजना लागू करने की प्रारंभिक कार्यवाही ही नहीं की और विभाग के तृतीय श्रेणी के कर्मचारी, सहायक विकास विस्तार अधिकारी के समयमान वेतनमान के हक की जड़ें, विभागीय स्तर पर काट दी गईं और खुद को लाभान्वित करने के लिए विभाग में समयमान वेतनमान योजना के स्थान पर षडयंत्र पूर्वक ‘नवीन विभागीय ढांचा पुनर्गठन’ स्वीकृत कराकर गजट नोटिफिकेशन भी जारी नहीं होने दिया और थोक में प्रमोशन आदेश जारी करा लिए। नोटिफिकेशन जारी हुआ 20/01/2014 को और प्रमोशन आदेश जारी करा लिए 28/12/2013 को. इस तरह विभाग के तृतीय श्रेणी के कर्मचारी,जिसे संपूर्ण सेवाकाल में कभी प्रमोशन नहीं मिला उसके हक को मारकर प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी के अधिकारियों ने अपने प्रमोशन करा लिए।
षडयंत्र को अंजाम देने के लिए विभाग के अधिकारियों ने सर्वप्रथम सहायक विकास विस्तार अधिकारियों के समयमान वेतनमान की जड़ें समयमान वेतनमान के परिपत्र के अनुसार आवश्यक कार्यवाही न कर, विभागीय स्तर पर ही पूरी तरह काट दीं। व्दितीय- खुद को लाभान्वित करने के लिए ‘नवीन विभागीय ढांचा पुनर्गठन’ तैयार किया गया,जिसमें नवीन पदों का सृजन और वर्तमान पदों को तीन से छः गुना बढ़ाना शामिल है। नवीन विभागीय ढांचा पुनर्गठन स्वीकृत कराने के लिए ग्रामीण विकास विभाग के समयमान वेतनमान के पात्र अधिकारी ,कर्मचारियों को फ्राड कर वित्त विभाग के परिशिष्ट-2 में समाज कल्याण विभाग में डलवा दिया और ग्रामीण विकास विभाग ने 06/01/2009 को प्रदेश के समस्त मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को एक कूटरचित आदेश जारी कर प्रदेश के समस्त सहायक विकास विस्तार अधिकारियों को अनधिकृत रुप से सीईओ जिला पंचायत से परिशिष्ट 2 में दर्शित समाज कल्याण विभाग का समयमान वेतनमान दिलवा दिया गया।
प्रदेश के सहायक विकास विस्तार अधिकारियों ने वित्त विभाग के परिपत्र 24/01/2008 की कंडिका 04 के पालन में आंतरिक शिकायत निवारण समिति को अभ्यावेदन प्रस्तुत किए, जिन्हें आंतरिक शिकायत निवारण समिति ने सहायक विकास विस्तार अधिकारी संघ के फर्जी अध्यक्ष के अपने मनमर्जी के अभ्यावेदन की आड़ में बगैर विचार किए ही अमान्य कर दिए। जबकि आंतरिक शिकायत निवारण समिति को संघ के अभ्यावेदन पर विचार करने का अधिकार ही नहीं था।
जनपद पंचायत-करेरा, जिला-शिवपुरी से सेवानिवृत्त सहायक विकास विस्तार अधिकारी- अशोक कुमार गुप्ता, कमलेश कुमार गुप्ता, रघुवीर प्रसाद अहिरवार एवं प्रकाशचंद जैन ने विभागीय आंतरिक शिकायत निवारण समिति को 09/11/ 2020 को अभ्यावेदन प्रस्तुत किया था जिस पर समिति ने लगभग तीन वर्ष बाद 20/09/2023 की बैठक में बगैर उसके एक भी बिंदु पर विचार किए अमान्य कर दिया। जबकि समिति को हर माह दो बैठकें कर तीन माह में अभ्यावेदनों का निराकरण करना आवश्यक है।
जनपद पंचायत करेरा, जिला शिवपुरी से रिटायर्ड उक्त चारों सहायक विकास विस्तार अधिकारियों ने आंतरिक शिकायत निवारण समिति के निर्णय को माननीय हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में चुनौती दी और मांग की, कि विभाग में ‘समयमान वेतनमान योजना’ लागू की जाए, दोषी अधिकारियों को दंड दिया जाए तथा मय ब्याज के ऐरियर्स के साथ-साथ अर्थाभाव के कारण उनके बच्चों के उपयुक्त शैक्षिक प्रबंधन न होने से उनका भविष्य नष्ट हुआ है, की भरपाई के लिए एक-एक करोड़ रुपए की अनुग्रह राशि दिलवाई जाए।
माननीय हाईकोर्ट- बेंच ग्वालियर ने दिनांक 11/03/2025 को याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी करने के आदेश देते हुए अपर मुख्य सचिव, म.प्र.शासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, विभागीय आंतरिक शिकायत निवारण समिति तथा अन्य से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। इस तरह की और याचिकाएं भी मध्य-प्रदेश हाईकोर्ट की तीनों बेंचों में लगने की संभावना है;क्योंकि विभागीय आंतरिक शिकायत निवारण समिति ने समयमान वेतनमान के 59 अभ्यावेदन अमान्य किये हैं। पूर्व में भी ग्वालियर एवं इंदौर खंडपीठों ने अध्यक्ष एवं सभी सदस्य, आंतरिक शिकायत निवारण समिति एवं अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था,समय-सीमा समाप्त होने के बावजूद किसी ने अभी तक जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया; जबकि मध्यप्रदेश शासन, सामान्य प्रशासन विभाग ने 05/12/2024 को पत्र जारी कर समस्त विभागों को निर्देशित किया है कि माननीय हाईकोर्ट के नोटिस का समय-सीमा में जबाव प्रस्तुत किया जाय तथा सीनियर सिटीजन के प्रकरणों को प्राथमिकता से निपटाया जाए।