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यूक्रेन: शिकारी के सामने शिकार की बगावत

यूक्रेन: शिकारी के सामने शिकार की बगावत

           प्रेस  विज्ञप्ति 
             यूक्रेन 


 यूक्रेन: शिकारी के सामने शिकार की बगावत

28 फरवरी 2025 – वाशिंगटन के ओवल ऑफिस में वो नज़ारा जिसने दुनिया की महाशक्तियों को तिलमिला कर रख दिया। सामने ट्रंप, घमंडी, बड़बोला, खुद को दुनिया का ठेकेदार समझने वाला। और उसके सामने ज़ेलेन्सकी – छोटा देश, मगर दिल और दिमाग इतना बड़ा कि ट्रंप जैसों को भी उलझा दे।

ट्रंप का दंभ और दादागिरी सबने देखी। उसकी शर्तें इतनी बेहूदी कि एक सामान्य नेता घुटनों पर गिर जाता। मगर ज़ेलेन्सकी ने सिर ऊंचा रखा। उसने अमेरिका को यूक्रेन की ज़मीन पर खनिज सौदों की इजाजत दी, मगर मालिकाना हक का ताज अमेरिका के सिर पर नहीं रखा। उसने 50-50 मुनाफे की शर्त पर अमेरिका को अपने दरवाजे से अंदर आने दिया। ट्रंप का 75-25 का ख्वाब वहीं चकनाचूर हो गया।

अमेरिका को यूक्रेन में अपनी पूंजी लगानी ही थी, क्योंकि यूरोप पहले से यूक्रेन के साथ मजबूती से खड़ा है। ट्रंप भले ही बद्तमीजी और दबंगई करता दिखा, मगर असल में उसके हाथ खाली थे। उसने जितना पैसा अब तक झोंका है, उसे वापस लेने की मांग तक इस सौदे से बाहर कर दी गई। मतलब अब तक जो अरबों डॉलर दिए गए, वो यूक्रेन की झोली में मुफ्त गिर गए।

            और रूस?

यूक्रेन ने उसे ऐसी चोट दी कि अब तक कराह रहा है। काला सागर में उसकी चौकियां तबाह, सप्लाई लाइनें ध्वस्त, और पुतिन की रणनीति की धज्जियां उड़ गईं। अब पुतिन के पास दो ही रास्ते हैं – या तो शर्मिंदगी में चुपचाप पीछे हटे, या फिर नाभिकीय हथियार का बटन दबा दे। मगर जो भी हो, नतीजा रूस के लिए तबाही का होगा।

          चीन की गिद्ध दृष्टि

चीन इस पूरे खेल को चुपचाप देख रहा है, मगर उसकी चालें तेज़ हो रही हैं। वो रूस की कमज़ोरी का फायदा उठाकर उसके संसाधनों और बाजार पर कब्जा जमाने की फिराक में है। अमेरिका और रूस की लड़ाई में चीन खुद को बड़ा खिलाड़ी बनाने की तैयारी में है। वो सीधे मैदान में नहीं कूदता, बल्कि दूसरों की लड़ाई में अपने मुनाफे की गोटियां फिट करता है।

         भारत की बेबस भूमिका

भारत इस पूरे खेल में ऐसी स्थिति में है जो उसे कहीं का नहीं छोड़ेगी। रूस उसका पुराना दोस्त, अमेरिका नया कारोबारी पार्टनर, और चीन उसका शाश्वत दुश्मन। भारत की नीति हमेशा संतुलन साधने की रही है, लेकिन ये संतुलन अब उसके गले की फांस बन सकता है। अगर रूस चीन की गोदी में बैठ गया और अमेरिका यूक्रेन में अटका रहा, तो भारत के लिए अपने हित साधना मुश्किल होगा।

         यूक्रेन का संदेश साफ है

यूक्रेन ने दुनिया को बता दिया – हथियार और ताकत बड़ी चीज़ हैं, मगर असली ताकत हिम्मत और चालाकी में होती है। ज़ेलेन्सकी ने अमेरिका को नचाया, रूस को धूल चटाई, और चीन को सोचने पर मजबूर कर दिया।

जो लोग उसे जोकर कहते थे, वो अब अपनी जबान काट रहे हैं।

ज़ेलेन्सकी ने दिखा दिया कि दुनिया का सबसे बड़ा देश भी अगर किसी छोटे देश को कमजोर समझकर दबाने की सोचता है, तो वही छोटा देश उसे ऐसा घाव देता है कि उसकी चीखें पूरी दुनिया सुनती है।

यूपी 100 इंडिया न्यूज़ की बड़ी खबर राम सूरत यादव की खास रिपोर्ट

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