कोयला चोरी पर नजर सबकी है लेकिन पत्थर की चोरी किसी ने नहीं देखा , आज मैं आपको लेकर चलता हूं बीसीसीएल एरिया 1 से 4 अंतर्गत बाघमारा अनुमंडल क्षेत्र के कई थाने क्षेत्र में बीसीसीएल के अधीन कार्य कर रहे आउसोर्सिंग कंपनी द्वारा ओबी पत्थर निकाल कर दुसरे जगहों पर पत्थर संग्रह किए जा रहे , ऐसे में अवैध पत्थर माफिया ट्रैक्टरों के द्वारा पत्थर की चोरी कर रहे हैं, इसके बाद पक्के मकान बन रहे दावे में प्रयोग के लिए ऊंचे कीमत पर पत्थर को बेच मालेमल हो रहे हैं
बता दे की पत्थर की चोरी षड्यंत्र के कारण हो रहा है सफेद पोश नेता के पैरवी से क्षेत्र में मंदिर व मस्जिद बनाने के दावे में लगाने के लिए पासिंग बीसीसीएल अधिकारियों से मौखिक 10 गाड़ी का लेकर 100 ट्रैक्टर ले जाने में सफल हो जाते हैं,
जिसके बाद क्षेत्र में सरकारी योजनाओं में लगने वाले ईट के जगह पत्थर लगाकर योजना को पूरा किया जाता हैं और वहां भी ठेकेदार जो है वह मालेमाल हो रहे हैं ,ऐसे में कोई जनप्रतिनिधि भी पत्थर के अवैध कारोबार को लेकर आवाज बुलंद नहीं करते देखे जा रहे हैं।
विभागीय सूत्र के अनुसार राजस्व का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत बीसीसीएल है। कोयले का कम उत्पादन के कारण अपेक्षित रॉयल्टी बीसीसीएल से नहीं मिल रही है। धनबाद खनन विभाग के कुल राजस्व का 80 प्रतिशत कोयला (बीसीसीएल) से मिलता है। कोयला में टिस्को एवं सेल की कोयला खदानों का भी योगदान रहता है।
अभी हाल के दिनों में हुई कार्रवाई ने खनन विभाग की कार्य संस्कृति पर भी सवाल खड़ा किया है। जिस तरह पत्थर एवं बालू में संगठित रूप से अवैध धंधेबाज काबिज हैं, उनसे यह स्पष्ट हो गया है कि बड़े पैमाने पर राजस्व की चोरी की गई है। टास्क फोर्स की ओर से दर्ज एफआईआर में भी सरकारी राजस्व चोरी की शिकायत की गई है। वर्षों से 11 क्रशर बिना लाइसेंस के चल रहे थे। दो पत्थर खदान में भी अवैध खनन हो रहा था। दो तरफ राजस्व की क्षति हुई। एक तो क्रशर चलाने के बदले सरकार को लाइसेंस फीस नहीं मिली। दूसरी तरफ बिना लीज पत्थर खदान में खुदाई की गई।
पत्थर एवं बालू माफियाओं के खिलाफ छापेमारी होती है, लेकिन खनन विभाग के अधीन जो शक्तियां हैं उनके अनुरूप कार्रवाई नहीं की जाती है। एफआईआर कर विभाग पुलिस पर मामले को छोड़ निश्चिंत हो जाती है।
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