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लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सियासत में ठाकुर विधायकों की फाइव स्टार होटल में हुई बैठक के बीच सोमवार को एक और अहम घटनाक्रम सामने आया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दोनों डिप्टी सीएम— केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक—ने लखनऊ स्थित सरकारी आवास पर मुलाकात की।
भले ही दोनों नेताओं ने इस मुलाकात को “शिष्टाचार भेंट” बताया हो, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे लेकर कयासबाजी तेज हो गई है।
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ठाकुर विधायकों की बैठक और अटकलों का दौर
बीते दो दिनों से ठाकुर समुदाय के विधायकों की बैठक ने भाजपा और संगठन के भीतर हलचल मचा दी है। बैठक का नेतृत्व भले ही रामवीर सिंह और जयवीर सिंह ने किया हो, लेकिन असल में इसके सूत्रधार राजा भैया माने जा रहे हैं। यही वजह है कि उनके योगी मंत्रिमंडल में शामिल होने की अटकलें भी तेज हो गई हैं।
बैठक में क्षत्रिय समाज की एकजुटता और भाजपा संगठन के भीतर स्थिति मजबूत करने की रणनीति पर चर्चा हुई। इसकी रिपोर्ट प्रदेश संगठन ने केंद्रीय नेतृत्व को भी भेज दी है।
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जातीय राजनीति और भाजपा की चुनौती
उत्तर प्रदेश की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा निर्णायक रहे हैं।
समाजवादी पार्टी (सपा) ने पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (PDA) के फॉर्मूले पर पिछला लोकसभा चुनाव लड़ा और बड़ी जीत हासिल की।
भाजपा के कई पिछड़े वर्ग के नेता विधानसभा चुनाव से पहले ही सपा का दामन थाम चुके थे।
इस पृष्ठभूमि में ठाकुर विधायकों की बैठक और फिर गैर-ठाकुर दोनों डिप्टी सीएम का एक साथ आना, भाजपा के भीतर जातीय संतुलन साधने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
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सपा के आरोप और भाजपा की सफाई
सपा लगातार योगी सरकार पर ठाकुरवाद का आरोप लगाती रही है। सोमवार को इंडिया गठबंधन की प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी रामगोपाल यादव ने यही मुद्दा उठाया। ऐसे में भाजपा के लिए यह जरूरी है कि वह यह संदेश दे कि उसकी सरकार सिर्फ एक जाति तक सीमित नहीं है।
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सोशल मीडिया पर सक्रियता
दोनों डिप्टी सीएम ने मुलाकात की तस्वीरें सोशल मीडिया मंच एक्स (X) पर साझा कीं।
केशव प्रसाद मौर्य ने लिखा: “सात कालिदास मार्ग स्थित सरकारी आवास पर माननीय उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक जी से शिष्टाचार भेंट कर कुशल क्षेम लिया।”
वहीं, ब्रजेश पाठक ने एक तस्वीर में अटल बिहारी वाजपेयी पर लिखी पुस्तक भेंट करते हुए और दूसरी तस्वीर में विचार-विमर्श करते हुए फोटो साझा की।
👉 कुल मिलाकर, ठाकुर विधायकों की बैठक और उसके बाद दोनों डिप्टी सीएम की मुलाकात ने यूपी की राजनीति में नए समीकरण और संभावनाओं पर चर्चा छेड़ दी है।