
भारत सरकार द्वारा राजनयिकों ,विशिष्ट विभागीय अधिकारियों / कर्मचारियों को पारिवारिक पोषण हेतु अनेकानेक पेन्शन सुविधायें प्रदत्त कर सहाय की जाती है ,किन्तु वरिष्ठजनों के लिये पारिवारिक पोषण अथवा निजी जीवन निर्वाह के लिये कोई पेन्शन सुविधा नहीं है। ऐसी स्थिति में वे परिजनों की दृष्टि में पूर्णरूपेण अनुपयोगी व महत्वहीन सिध्द हो जाते हैं। परिवार के छोटे छोटे बच्चे भी उन्हें कोई महत्व नहीं देते। समय के साथ साथ उनकी आयु तो बढ़ती रहती है किन्तु आय नाममात्र को भी नहीं। उनका शरीर भ रुग्ण हो उनके चलने फिरने में भी बाधक हो जाता है। स्वस्थ चित्त रहने के लिये उन्हें स्थायी रूप से औषधियों की आवश्यकता होती है ,जो अर्थाभाव के कारण नहीं मिल पातीं। तंगहाली में परिवार भी उनका साथ छोड़ देता है। ऐसी दयनीय स्थिति में सरकार ही उन्हें महत्वपूर्ण स्थान और स्थिति देने में समर्थ है। अतैव राज्य सरकारों को चाहिए कि वे उन्हें पेंशन के रूप में समुचित पोषण भत्ता देकर उनका भविष्य सुधारें। निःसहाय गरीब की सहायता कर उन बुजुर्गो और विशिष्टों को वे ख़ुशी और सुखी जीवन दे सकते हैं। सोचें,समझें और करें ..।