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रतलाम जिले के पंचेड गांव के युवाओं ने पेश की मिशाल, मूकबाधिर युवा और बुजुर्ग मां को घर बनाकर दिया, दीपावली पर कराया गृह प्रवेश*

रतलाम जिले के पंचेड गांव के युवाओं ने पेश की मिशाल, मूकबाधिर युवा और बुजुर्ग मां को घर बनाकर दिया, दीपावली पर कराया गृह प्रवेश*

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रतलाम – मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के कुछ युवाओं ने समाज के लिए इस दिवाली पर एक मिसाल पेश की है. गांव के लोगों ने एक जरूरतमंद परिवार को पक्का मकान तैयार कर दीपावली पर गृह प्रवेश कराया है. गांव वालों के अनोखे प्रयास से मूक बधिर लखन दमामी और उसकी मां नया मकान पाकर बेहद खुश हैं. ग्रामीणों ने अब हर साल एक जरूरतमंद परिवार को पक्का मकान बनाकर देने की बात भी कही है.

*जर्जर हो चुके कच्चे मकान में रहते थे मां-बेटा*

दरअसल, रतलाम के पंचेड़ गांव में एक परिवार के मां और बेटा जर्जर हो चुके कच्चे मकान में रहने को मजबूर थे. लखन दमामी बोल और सुन नहीं सकता है. वहीं उसकी वृद्ध मां भी मानसिक रूप से कमजोर है. इस वर्ष बारिश में घर की हालत रहने योग्य नहीं रह गई थी. इसके बाद गांव के बाबूलाल और धर्मेंद्र नाम के दो युवकों ने अन्य लोगों के सामने लखन के परिवार की मदद करने का प्रस्ताव रखा, जिस पर सब लोग तैयार हो गए. सोशल मीडिया पर एक ग्रुप बनाया गया और देखते-देखते 17000 रुपए से अधिक राशि जमा हो गई।

*मात्र 20 दिनों में तैयार हो गया मकान*

इसके साथ ही कुछ लोगों ने रेत, गिट्टी, ईंट और मकान बनाने के अन्य सामान देकर भी सहयोग दिया. दीपावली के त्योहार के एक महीने पहले यह योजना बनी और काम शुरू करने के 20 दिनों बाद ही मकान तैयार हो गया. ग्रामीणों की तरफ से लखन और उसकी मां को नए पक्के मकान में दीपावली के दिन गृह प्रवेश कराकर यह तोहफा दिया गया है. गांव के सरपंच कृपाराम गोदा व उप सरपंच धर्मेंद्र जाट ने बताया, ” बाबूलाल, धर्मेंद्र ,शिव नारायण और श्यामलाल जैसे युवाओं ने इस कार्य में योगदान देने के साथ परिश्रम भी किया है. महज 20 दिनों में ही मकान तैयार कर दीपावली के दिन जरूरतमंद परिवार को गृह प्रवेश करवाया है. मकान में अभी प्लास्टर और छोटा-मोटा कार्य बाकी है, जिसे जल्दी ही पूरा कर लिया जाएगा.”

*अब हर साल की जाएगी जरूरतमंदों की मदद*

इस पुनीत कार्य में सफलता मिलने के बाद अब गांव के लोग हर वर्ष जरूरतमंद परिवारों को चिन्हित कर एक मकान बनाने का निश्चय कर चुके हैं. बहरहाल, कच्चे मकान की जगह पक्का मकान पाकर लखन और उसकी मां बेहद खुश है. लखन भले ही खुद बोलकर अपनी खुशी बयां नहीं कर पा रहा है, लेकिन उसकी मुस्कान बता रही है कि उसे गांव वालों ने जीवन का सबसे बड़ा तोहफा त्यौहार के दिन दिया है।

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