सागर। वंदे भारत लाइव टीवी न्यूज संवाददाता सुशील द्विवेदी। कलेक्टर संदीप जी आर ने खुरई विकासखंड के ग्राम कमरोल में बन रहे फ्रूट फॉरेस्ट एरिया का निरीक्षण किया एवं निर्देश दिए कि शीघ्रता से वृहद पौधारोपण करंे। इस अवसर पर जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी विवेक के वी, एसडीएम रविश श्रीवास्तव, जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती मीना कश्यप सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे। कलेक्टर ने बताया कि सागर के चार विकासखंडों में फ्रूड फॉरेस्ट हब बनेगा जिससे ग्रामवासी इस फ्रूड फॉरेस्ट का देखरेख करेंगे एवं उनके मार्गदर्शन में फ्रूड फॉरेस्ट का संचालन किया जाएगा। महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने एवं आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए कलेक्टर द्वारा महिला सशक्तिकरण की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं और स्व सहायता समूह की महिला सदस्यों को भी फ्रूड फॉरेस्ट से जोड़ा जाएगा जिससे कि वह आर्थिक रूप से समृद्ध बन सके। इसी क्रम में जैसीनगर विकासखंड के ग्राम बड़ौदा में कलेक्टर के प्रयास से 10 एकड़ भूमि पर फ्रूट फॉरेस्ट लगाया जा रहा है। इसी प्रकार रहली, माल्थोन, खुरई विकासखंडों में भी फ्रूट फॉरेस्ट के अंतर्गत पौधारोपण किया जाएगा। रहली एसडीएम गोविंद दुबे ने बताया कि रहली में अलग-अलग ग्रामों में जगह को चिन्हित किया गया है और जल्दी ही फ्रूट फॉरेस्ट के अंतर्गत पौधारोपण किया जाएगा। जैसीनगर एसडीएम रोहित वर्मा ने बताया कि बडौदा सागर में 10 एकड़ भूमि को चिन्हित किया गया है जिसका कार्य भी प्रारंभ किया गया है। इसी प्रकार खुरई एसडीएम रविश श्रीवास्तव ने बताया कि खुरई में 25 हेक्टेयर भूमि को चिन्हित किया गया है जहां फूड फॉरेस्ट के अंतर्गत फलदार पौधों का रोपण किया जाएगा। माल्थोन एसडीएम श्री मुनव्वर खान ने बताया माल्थोन में भी 3 ग्रामों को चिन्हित किया गया है जहां फलदार पौधों का पौधा रोपण होगा जिसका संचालन और देखरेख ग्राम के ही सदस्य करेंगे। फ्रूट फॉरेस्ट में अमरूद, जामुन, नींबू, कटहल, मुनगा इत्यादि पौधों को रोपा जाएगा। फ्रूट फॉरेस्ट के पौधो की अच्छी ग्रोथ के लिए खाद एवं बर्मीकम्पोस्ट भी बनाया जा रहा है। पौधो की सिंचाई अटल भू-जल योजना अंतर्गत ड्रिप इरीगेशन सिस्टम से की जाएगी। कलेक्टर ने बताया कि फ्रूट फॉरेस्ट में महिलाओं की भी सहभागिता की जाएगी इसमें ग्राम की महिलाओं के लिए आर्थिक रूप से सशक्त बनने के दिशा में फ्रूट फॉरेस्ट सार्थक सिद्ध होगा। हमारे पर्यावरण की अनुकूलता का भी पर्याय बन रहा है और हमें प्रकृति को करीब से जानने का मौका दे रहा है।
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