उत्तर प्रदेश

आदमी हो मौन तो उसका अंतर्मन बोलता है:” रंजना”

#मौन

आदमी हो गर मौन
मत समझो उसको गौण।
मौन हो गर आदमी
उसका अन्तर्मन बोलता है।

मौन है,शीतल पवन
मृदु मंद मंद करता वहन।
न कुछ कहकर भी
गूंजता नीला गगन।

आदमी हो,या कोई जीव
उसका अंग अंग बौलता है।
नेत्र हो,या चेहरे की चमक
हरेक गांठे खोलता है।

पूजती है, दुनिया
मौनी बाबा को ही,
वाचाल को ढोंगी समक्ष
दूरियां बनाता है।

अनशन में, है जो शक्ति
वह प्रदर्शन में नहीं,
अनशन, आत्मा को झकझोरती है
प्रदर्शन,बस प्रदर्शन ही रह जाती है।

जीभ में भी,
तलवार सी धार होती है।
बिना बहाए रक्त
किसी को मार देती है।

मुंह से निकला तीर
हृदय को छेद देता है।
प्रेम, भाईचारा, आत्मीयता
को अक्सर भेद देता है।

न बोलकर भी सबकुछ बोलना
इसे ही मौन कहते हैं।
सबकुछ बोलकर भी, कुछ नहीं बोलना
उसे वाचाल कहते हैं।

अन्याय देखकर मौन रहना
यह बड़ा दुष्कर्म है।
न्याय के लिए मौन तोड़ना
यही हमारा धर्म है।
रंजना पाण्डेय शिक्षिका बलिया

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