
।।अनशन पर बैठे सत्ताधारी दल के नेता के साथ प्रशासन का यह रुख, तो विपक्षी दलों के नेताओं के साथ क्या होता।।
अजीत मिश्रा (खोजी)
⭐भाजपा नेता के आमरण अनशन को लेकर दिनों-दिन बढ़ता जा रहा चर्चाओ का दौर।
⭐भाजपा नेता के आमरण अनशन पर प्रशासन की भूमिका पर उठ रहे सवालियां निशान।
बस्ती (यूपी)।। जैसे–जैसे भाजपा नेता आशीष शुक्ला के आमरण अनशन का समय काल बढ़ता जा रहा है, वैसे–वैसे जिले के नाकों, गलियों, चौराहों पर तमाम तरह की कयासबाजियों, कन-फुस्की व चर्चाओं का दौर भी बढ़ता जा रहा है। और इस उठापटक के बीच यह चर्चा उभरकर आम हो गया है कि जब अनशन पर बैठे सत्ताधारी दल के नेता के साथ प्रशासन का यह रुख है, तो विपक्षी दलों के नेताओं के साथ क्या होता।
गौरतलब हैं कि जिले में लगातार बढ़ रहे आपराधिक घटनाओं, बेलगाम नौकरशाही, अधिकारियों/कर्मचारियों के मनमानीपूर्ण रवैए के खिलाफ “एक रहेंगे–सेफ रहेंगे” के नारे के साथ पूर्व नगर अध्यक्ष भाजपा आशीष शुक्ल “सैनिक” का अनिश्चित कालीन आमरण अनशन अनवरत जारी है। इस अनशन में आशीष शुक्ल “सैनिक” ने अपने अनशन के प्रमुख मांगों में नगर थाना क्षेत्र के खुटहन गांव में दो सगे भाईयों की करंट से मौत मामले में परिजनों को समुचित मुआवजा दिये जाने व दोषी अधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाई, पैकोलिया थाना क्षेत्र के जीतीपुर गांव में बालिका की हत्या मामले में पैकोलिया थानाध्यक्ष के विरूद्ध मुकदमा पंजीकृत कर पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने, लालगंज थाना क्षेत्र में मासूम दलित बालिका से दुराचार व हत्या मामले में थानाध्यक्ष व हल्का दरोगा तथा बीट सिपाही के विरूद्ध कार्रवाई, बस्ती शहर के मालवीय रोड पर जमीनी विवाद मामले में पुलिस के भूमिका की जांच को सार्वजनिक कर दोषियों के विरूद्ध कार्रवाई, कोतवाली थाना क्षेत्र के कटेश्वर पार्क में बालिका के साथ दुराचार के मामले में दोषी पुलिस कर्मियों के विरूद्ध कार्यवाही, उभाई में युवक की हत्या मामले में सीबीसी प्रेरक मिश्रा की रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दोषी पुलिस कर्मियों के विरूद्ध कार्रवाई आदि को शामिल किया है। मांगपत्र के कुछ मामलों में हाल ही में जिला प्रशासन ने कार्यवाही भी कर दी है तथा शेष में कार्यवाही प्रगति का लोगों को बेसब्री से इंतजार भी है। ज्ञातव्य हैं कि अपनी ही सरकार के खिलाफ़ भाजपा नेता द्वारा शुरु किए गए इस आमरण अनशन को जिले के विभिन्न सामाजिक, राजनैतिक और जातीय संगठनों ने अपना समर्थन प्रदान किया है। बाक़ी अब यह देखना मात्र रह गया है कि इस आमरण अनशन को अपनी मंजिल कब तक हासिल होती हैं।