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दरभंगाबिहार

वेब सीरिज में दिखेगा माँ सीता का अनसुना बचपन

दरभंगा के पिण्डारूच गाँव में मैथिली वेब सीरिज 'मिथिला रामायण-सीतायन' का शुभारंभ, सीता जी के दृष्टिकोण से पहली बार रामायण का चित्रण।

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पिण्डारूच गाँव में मैथिली वेब सीरिज ‘मिथिला रामायण-सीतायन’ का शुभ मुहूर्त, सीता जी के दृष्टिकोण से रामायण गाथा का होगा चित्रण

सीतेश चौधरी, पत्रकार

Maithili Ramayan Seetayan

दरभंगा। मिथिला की धरती पर बुधवार का दिन ऐतिहासिक रहा। दरभंगा जिला के केवटी प्रखंड अंतर्गत पिण्डारूच गाँव में बहुप्रतीक्षित मैथिली वेब सीरिज ‘मिथिला रामायण-सीतायन’ का शुभ मुहूर्त बड़े ही धूमधाम से संपन्न हुआ। इस वेब सीरिज की सबसे विशेष और अनूठी पहल यह है कि इसमें रामायण की कथा को सीता जी के दृष्टिकोण से दिखाया जाएगा। आज तक किसी भी फिल्म, धारावाहिक या चित्रण में सीता माँ के बचपन और उनके जीवन की गहन व्याख्या इतनी व्यापकता से नहीं की गई, जितनी योजना इस सीरिज में बनाई गई है।

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सीता जी के दृष्टिकोण से रामायण का चित्रण

निर्माताओं ने स्पष्ट किया कि यह श्रृंखला सिर्फ धार्मिक या सांस्कृतिक कथानक तक सीमित नहीं होगी, बल्कि इसमें स्त्री सशक्तिकरण और मिथिला की गौरवशाली परंपरा को भी सामने लाया जाएगा। शोधकर्ताओं की टीम ने बताया कि अब तक लिखी गई 100 से अधिक रामायणों और सीता जी पर आधारित अनेक पुस्तकों का गहन अध्ययन किया जा रहा है। इसका उद्देश्य है कि सीता जी के नजरिए से रामायण की उन परतों को खोला जाए, जो प्रायः अनदेखी रह गई हैं।

इस परियोजना की कमान लेखक एवं निर्देशक संतोष बादल और निर्माता नवीन चौधरी ने संभाली है। दोनों का मानना है कि मिथिला और मैथिली भाषा की अस्मिता को नई ऊर्जा देने का इससे बेहतर अवसर नहीं हो सकता।

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‘मिथिला गाथा रिसर्च लाइब्रेरी’ की स्थापना

इस अवसर पर एक और महत्वपूर्ण पहल हुई— ‘मिथिला गाथा रिसर्च लाइब्रेरी’ की स्थापना। इस लाइब्रेरी में विश्वभर में लिखी गई रामायणों का संग्रह और अध्ययन की सुविधा होगी। विशेष रूप से सीता जी पर केंद्रित साहित्य का व्यापक संग्रह तैयार किया जा रहा है। रिसर्च टीम 100 दिनों का गहन अध्ययन करेगी और उसके निष्कर्ष को इस वेब सीरिज में उतारा जाएगा।

निर्माता नवीन चौधरी ने बताया कि यह लाइब्रेरी मिथिला की आने वाली पीढ़ियों के लिए एक धरोहर साबित होगी। यहाँ विद्यार्थी, शोधकर्ता और साहित्यकार रामायण की विविध परंपराओं से रूबरू हो सकेंगे।

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रावण और निर्माता—दोहरी भूमिका में नवीन चौधरी

वेब सीरिज में रावण की भूमिका निभा रहे ख्यातिप्राप्त अभिनेता नवीन चौधरी ने न केवल अभिनय का भार उठाया है, बल्कि निर्माण की जिम्मेदारी भी संभाली है। वे पिण्डारूच गाँव के ही निवासी हैं। संयोग से यह वही गाँव है जहाँ मैथिली रामायण के रचयिता महान कवि कवीश्वर चंदा झा का जन्म हुआ था।

नवीन चौधरी ने कहा कि उन्हें इस सीरिज को बनाने की प्रेरणा कवीश्वर चंदा झा की कृति से मिली। वे कई वर्षों से कवीश्वर की स्मृति में आयोजित समारोहों, जयंती और स्मारकों का आयोजन करते आए हैं। उन्होंने कहा कि मैथिली रामायण को आत्मसात कर उन्होंने यह ठाना है कि अपने प्रोफेशनल जीवन से कवीश्वर की स्मृति को अमर बनाएंगे।

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मुहूर्त कार्यक्रम में जुटे दिग्गज

इस भव्य मुहूर्त अवसर पर बिहार सरकार के भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी, शहरी विकास एवं आवास मंत्री जीवेश कुमार मिश्र, केवटी विधायक डॉ. मुरारी मोहन झा, राज्यसभा सदस्य धर्मशीला गुप्ता, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा दिल्ली के वरिष्ठ कलाकार प्रदीप चन्द्र चौधरी, अवकाशप्राप्त न्यायमूर्ति रूक्मिणी कान्त चौधरी, नेपाल सरकार के पूर्व मंत्री उमा शंकर अरगरिया, निर्माता मनीष गनहर, मणिकांत झा सहित हिन्दी और मैथिली सिनेमा जगत की कई हस्तियाँ उपस्थित रहीं।

इसके अतिरिक्त साहित्य, पर्यटन और उद्योग जगत के प्रतिनिधि तथा स्थानीय गणमान्य लोग भी इस अवसर के साक्षी बने।

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‘मैथिली वेब सीरिज चैनल’ की शुरुआत

निर्देशक संतोष बादल ने बताया कि इस परियोजना को नए ‘मैथिली वेब सीरिज चैनल’ पर प्रसारित किया जाएगा। चैनल की शुरुआत ‘मिथिला रामायण-सीतायन’ से ही होगी।
उन्होंने कहा कि सीरिज-1 की शूटिंग 14 जनवरी 2026 से शुरू होगी, जो 45 दिनों तक चलेगी। इसे 25 अप्रैल 2026 को सीता जन्मोत्सव के अवसर पर मुख्यमंत्री और कई गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति में लॉन्च किया जाएगा।

मुहूर्त स्थल पर ही ‘मैथिली वेब सीरिज चैनल’ का कार्यालय भी स्थापित किया गया है।

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कवीश्वर चंदा झा स्मृति समारोह की पीड़ा

इस अवसर पर कवीश्वर चंदा झा स्मृति समारोह समिति के सचिव नवीन चौधरी ने अपनी संस्था की पीड़ा भी रखी। उन्होंने कहा कि 2022 में तत्कालीन बिहार सरकार के कला एवं संस्कृति विभाग ने इस समारोह को सरकारी कैलेंडर में शामिल कर 10 लाख रुपये अनुदान की स्वीकृति दी थी। पहले वर्ष तो इसका संचालन हुआ, लेकिन 2023 से भुगतान नहीं हुआ और कैलेंडर से भी समारोह हटा दिया गया।

उन्होंने मंत्रीगण से पुनः इसे सरकारी कैलेंडर में शामिल करने की मांग की। इस पर मंत्री संजय सरावगी ने त्वरित संज्ञान लिया और सभी आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराने का आग्रह करते हुए समाधान का आश्वासन दिया। उन्होंने मैथिली रामायण आधारित वेब सीरिज की पहल की भी भूरि-भूरि प्रशंसा की।

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जनप्रतिनिधियों और अतिथियों के विचार

राज्यसभा सदस्य धर्मशीला गुप्ता ने इस पहल को समाज में सांस्कृतिक जागरण का प्रतीक बताया और शुभकामनाएँ दीं।
वहीं, शहरी विकास मंत्री जीवेश मिश्रा ने कहा कि यह सीरिज पिण्डारूच गाँव के गौरव को बढ़ाएगी और स्थानीय स्तर से शुरू हुई यह यात्रा राष्ट्रीय और वैश्विक मंच तक पहुँचेगी।

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सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और आयोजन

कार्यक्रम में निराला’s स्टाइल ऑफ डांस द्वारा मैथिली झिझिया की मनोहारी प्रस्तुति दी गई, जिसे उपस्थित लोगों ने खूब सराहा। मंच संचालन की जिम्मेदारी दीपक झा ने निभाई।
स्थानीय प्रशासन पूरे समय सतर्क और सक्रिय रहा। शांतिपूर्ण माहौल में कार्यक्रम का समापन हुआ।

Maithili Ramayan Seetayan


सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का प्रयास

‘मिथिला रामायण-सीतायन’ न केवल मिथिला और बिहार की सांस्कृतिक पहचान को पुनर्जीवित करेगी, बल्कि महिला दृष्टिकोण से महाकाव्य की व्याख्या कर देश-दुनिया में नई सोच भी प्रस्तुत करेगी।
निर्माता नवीन चौधरी और निर्देशक संतोष बादल की इस पहल से न केवल मिथिला की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने का प्रयास होगा, बल्कि मैथिली भाषा को वैश्विक मंच पर नई पहचान भी मिलेगी।

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Sitesh Choudhary

शब्दों के समंदर में गोते लगाता एक तैराक। कभी उफनते समंदर को चीरकर लहरें बना देता हूं तो कभी लहरों में हिचकोले खाता हुआ लहरों को समंदर बना देता हूं। डूबने की परवाह कभी की ही नहीं। तुम शौक से मोती ढ़ूंढ़ो मुझमें लेकिन साहिल पर बैठकर मुझमें मोती नहीं दिखेगा। तुम्हें भी मेरी तरह गहराई में उतरना होगा। उगते हुए सूरज की परस्तिश नहीं करता, गिरती हुई दीवारों का हमदर्द हूं। काम, क्रोध, मोह, लोभ, क्षोभ से मुक्त उन्मुक्त 'मर्द' हूं।
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