A2Z सभी खबर सभी जिले कीUncategorizedअन्य खबरेउज्जैन

बदलेगा इतिहास… विक्रम संवत् को राष्ट्रीय संवत् का दर्जा देने फिर पारित होगा प्रस्ताव

वैदिक घड़ी 29 फरवरी से चलेगी…प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लोकार्पण तय, जुड़ा कार्यक्रम

विक्रम संवत 2081 आने वाली 9 अप्रैल से शुरू होगा, लेकिन इससे पहले ही इतिहास बदलने वाला है। इसी माह भारत वैदिक समय के साथ चलना शुरू करेगा। दुनिया की पहली वैदिक घड़ी का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29 फरवरी को करेंगे। इसके साथ ही देश में समय बदलने का एक नया अध्याय शुरू होगा। 19 मार्च को देशभर के खगोलविद डोंगला वेधशाला में जुटेंगे और 7, 8 व 9 अप्रैल को देश भर के इतिहासकार भारत के इतिहास पर मंथन करेंगे। विक्रम संवत् को राष्ट्रीय संवत का दर्जा देने का प्रस्ताव एक बार फिर पारित होगा।

समय की गणना के लिए स्थापित जीवाजी वेधशाला परिसर में 85 फीट ऊंचे टॉवर पर वैदिक घड़ी लगाई जा चुकी है। इसे विक्रमादित्य वैदिक घड़ी नाम दिया गया है। यह विक्रम संवत के अनुसार तिथि और समय की जानकारी देगी। पहले इसका लोकार्पण 1 मार्च को करना प्रस्तावित था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले कार्यक्रम के अनुसार 29 फरवरी, गुरुवार को ही इसका लोकार्पण करना तय हो गया है।

मप्र संस्कृति विभाग के अंतर्गत संचालित विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने बताया 29 फरवरी को प्रधानमंत्री इसका वर्चुअली लोकार्पण करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का यह ड्रीम प्रोजेक्ट है। इस कारण शासन और प्रशासन ने घड़ी के लोकार्पण की तैयारी तेज कर दी है। रविवार को ही एक स्क्रीन टॉवर पर लगा दी गई है। इसकी टेस्टिंग वैदिक घड़ी बनाने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर आरोह श्रीवास्तव ने कर ली है। परिसर में हरे भरे पेड़ लगाकर सजावट की जाएगी और टॉवर के अंदर सम्राट विक्रमादित्य सहित महापुरुषों के चित्र और मूर्तियां दिखाई देंगी। जल्द ही वैदिक घड़ी वेधशाला को हैंडओवर कर दी जाएगी। वेधशाला के माध्यम से ही इसका संचालन होगा। डोंगला वेधशाला से वैदिक समय उपलब्ध कराया जा रहा है।

समय ले रहा करवट…

देश के खगोलविद सिद्ध करेंगे भारत ने तय किया था वैश्विक समय…

विक्रमोत्सव में 19 मार्च को महिदपुर के पास डोंगला वेधशाला में देश के खगोल वैज्ञानिकों का सम्मेलन होगा। इस बार प्राइम मेरिडियन यानी प्रधान मध्याह्न रेखा, जिसके आधार पर समय की गणना की जाती है पर मंथन होगा। सम्मेलन में यह सिद्ध करने का प्रयास किया जाएगा कि पेरिस और ग्रीनविच से पहले भारत ने वैश्विक समय निर्धारित किया था। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी कह चुके हैं कि प्राइम मेरिडियन को पेरिस और फिर ग्रीनविच (लंदन) में स्थानांतरित करने से पहले भारत, विशेष रूप से उज्जैन ने दुनिया का समय लगभग 300 साल पहले निर्धारित किया था। अगर मानक समय तय करने की बात है तो इसका फैसला भारत करेगा। दुनिया के समय को सही करने के लिए उज्जैन में शोध करेंगे।

अंग्रेजों ने किया इतिहास गड़बड़ ठीक करेंगे देश के इतिहासकार

अंग्रेजों ने भारत का इतिहास काफी गड़बड़ कर दिया। अब देश के इतिहासकार उज्जैन में जुटेंगे और जो इतिहास गड़बड़ किया है, उसे सुधारने की दिशा में अपने शोध और प्रमाण प्रस्तुत करेंगे। 7 से 9 अप्रैल तक होने वाला इतिहासकारों का समागम विक्रम संवत को राष्ट्रीय संवत का दर्जा देने पर मंथन करेगा। पुराविद डॉ. रमण सोलंकी ने बताया रामायण, महाभारत और पुराणों को लेकर जो तथ्यहीन इतिहास बताया गया है, उसके मूल इतिहास प्रस्तुत किए जाएंगे। विक्रम विश्वविद्यालय, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना नईदिल्ली और विक्रमादित्य शोधपीठ के संयुक्त तत्वावधान में यह सम्मेलन होगा। अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना नईदिल्ली के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ. बालमुकुंद पांडे भी इसमें शामिल होंगे।

Vande Bharat Live Tv News
Check Also
Close
Back to top button
error: Content is protected !!