
संवाददाता – दुष्यन्त वर्मा | ब्यूरो चीफ, श्रावस्ती
श्रावस्ती।
प्रधानमंत्री की महत्त्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन का उद्देश्य देश के हर घर तक शुद्ध पेयजल पहुँचाना है, लेकिन श्रावस्ती जिले के जमुनहा विकास खंड में इस योजना की तस्वीर कुछ और ही बयां कर रही है। यहां लाखों रुपये खर्च कर बनी पानी की टंकियाँ अब पीने के लिए नहीं, बल्कि धान के खेतों की सिंचाई का साधन बन चुकी हैं।
चमरपुरवा, नदईडीह और ओदाही ग्राम पंचायतों में बने जल संरचनाएं अब अपने मूल उद्देश्य से भटक चुकी हैं। चमरपुरवा के ग्राम प्रधान राम प्रघट ने बताया कि पानी की टंकी से गांव के लोगों को जलापूर्ति न होकर किसानों को पैसे लेकर खेतों में पानी भेजा जा रहा है।
आपरेटर इस्लाम, जो सादिक का पुत्र और भग्गड़वा गांव का निवासी है, पर आरोप है कि वह प्रति बीघा शुल्क लेकर टंकी का पानी सिंचाई के लिए दे रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि यह सब कुछ संबंधित सुपरवाइजर और जल निगम के अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा है।
पाइपलाइन बिछी लेकिन नल सूखे
गांव में जलापूर्ति के लिए पाइपलाइन तो बिछा दी गई है, लेकिन अधिकांश घरों तक पानी नहीं पहुँच रहा। लोग आज भी हैंडपंप और तालाबों से पानी लाने को मजबूर हैं। कई बार शिकायतों के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
अधिकारियों ने ली सुध
जल जीवन मिशन के जूनियर इंजीनियर कुलदीप पाठक ने बताया कि उन्हें आपरेटर के खिलाफ शिकायत प्राप्त हुई है। जल्द ही मामले की जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी और एक नया आपरेटर नियुक्त किया जाएगा।
ग्रामीणों की मांग – सुचारू रूप से बहाल हो योजना
गांव के निवासियों में प्रशासन के प्रति नाराज़गी साफ झलकती है। उनका कहना है कि जल जीवन मिशन जैसी जनहितकारी योजना को निजी फायदे का साधन बना दिया गया है। ग्रामीणों ने जिम्मेदार अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई और जलापूर्ति व्यवस्था को यथाशीघ्र सुधारने की मांग की है।
नोट: यह मामला जल जीवन मिशन की साख पर बड़ा प्रश्नचिन्ह है। यदि समय रहते जिम्मेदारों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो यह भ्रष्टाचार की नई मिसाल बन सकता है।