
सीधी। जी हां यह सच है और केवल मुंहजबानी नहीं बल्कि भारत सरकार के रिकॉर्ड में दर्ज है कि किस तरह एक नाम के दो टुकड़े कर दोनों को सत्यापित किया गया हैा और फिर दोनों को कम पर लगा दिया गया है । यह है ना एक जादूगर का कमाल। जादूगर का नाम है रजनीश द्विवेदी जो कि सीधी जिले के आदिवासी बहुल विकासखंड क्षेत्र कुसमी के ग्राम पंचायत कोडार में रोजगार सहायक के पद पर पदस्थ हैं और उनके कंधों पर एक अतिरिक्त भार ग्राम पंचायत रूॅदा का भी है जहां विकास की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं।
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अब इनके जादू की चर्चा करते हैं तो ग्राम पंचायत कोडार के ग्राम नौढिया देवार्थ निवासी परमेश्वर चतुर्वेदी के पुत्र पुष्पेंद्र किशोर चतुर्वेदी और उनकी पत्नी प्रतिमा के नाम के दो टुकड़े किए गए। रोजगार सहायक रजनीश कुमार द्विवेदी द्वारा बनाए गए जॉब कार्ड संख्या एमपी- 15-007-032-002/ 696 दिनांक 23 मई 2021 मे मूल व्यक्ति पुष्पेंद्र किशोर उम्र 35 वर्ष और दूसरा किशोर को हटाकर केवल पुष्पेंद्र जिसकी उम्र 35 वर्ष वही प्रतिमा उम्र 30 वर्ष के नाम का भी विभाजन कर दो प्रतिमा बना दी गई जिनकी भी समान उम्र दर्ज है इसमें अंतर केवल इतना है कि पुष्पेंद्र किशोर और एक प्रतिमा का बैंक खाता यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया में है वही पुष्पेंद्र और दूसरी प्रतिमा का बैंक खाता मध्यांचल ग्रामीण बैंक में है, जो यह बताता है कि पुष्पेंद्र किशोर और पुष्पेंद्र तथा प्रतिमा कुल मिलाकर एक जॉब कार्ड में चार लोग दर्ज हैं जबकि वास्तव में परिवार समग्र आईडी के मुताबिक इस परिवार में केवल दो वयस्क व्यक्ति पुष्पेंद्र किशोर चतुर्वेदी और प्रतिमा चतुर्वेदी तथा तो नाबालिक बच्चे ही दर्ज है लेकिन जॉब कार्ड में काम चार लोग कर रहे हैं।
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इसी तरह महेश प्रसाद साकेत पिता शिव प्रसाद साकेत के नाम के भी दो टुकड़े किए गए और दोनों को काम पर लगा दिया गया। शिव प्रसाद साकेत की परिवार समग्र आईडी में उसके पुत्र का नाम महेश प्रसाद साकेत है लेकिन रोजगार सहायक ने 18 जनवरी 2022 को एक फर्जी जॉब कार्ड संख्या एमपी- 15-007-032-002 /137/A बनाकर उसमें महेश प्रसाद की उम्र 23 वर्ष और उसमें से प्रसाद शब्द हटाकर केवल महेश उम्र 22 वर्ष और राहुल 24 वर्ष का नाम दर्ज किया जिसमें से महेश प्रसाद और महेश दोनों को कम पर लगा दिया।
ठीक इसी तर्ज पर नीला देवी पत्नी महेंद्र चतुर्वेदी को जॉब कार्ड संख्या एमपी- 15- 007-032-002 /693 -A मे नीला देवी 30 वर्ष महेंद्र 35 वर्ष और नीला देवी को बना दिया नीलम उम्र 25 वर्ष वही मुन्ना 28 वर्ष को शामिल किया गया है जबकि महेंद्र और नीला देवी की परिवार आईडी में नाबालिक बच्चों के अलावा नीलम और मुन्ना का कोई पता ठिकाना नहीं है।
इस तरह स्पष्ट समझा जा सकता है कि जिस काम को फर्जी कागजी मजदूर कर रहे हैं वह काम भी सिर्फ कागजो तक ही सीमित होगा। गहराई से यदि जांच की जाए तो रोजगार सहायक रजनीश द्विवेदी की जादूगरी का अभी और भी खुलासा हो सकता है जिसमें कई फर्जीवाड़ों से पर्दा हटेगा और शासन को लगाए गए करोड़ों रुपए के चूने का खुलासा होगा साथ ही इस बात का भी पता चलेगा कि किस तरह फर्जी दस्तावेजों के सहारे रोजगार सहायक रजनीश द्विवेदी ने जन धन की लूट की है।
इस कला के संबंध में जानकारी लेने के लिए
जब हमने रजनीश द्विवेदी के मोबाइल पर संपर्क किया तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया हालांकि पुस्ट सूत्रों से पता चला कि रजनीश द्विवेदी का कथन है- “जो छापना है छापते रहो कोई फर्क नहीं पड़ता यहां जांच करने वाले से लेकर कार्रवाई करने वाले तक सब बिकाऊ है “। इस कथन से उनका क्या तात्पर्य है यह तो वही जाने लेकिन आम आदमी सोने को मजबूर है कि क्या यह सही है ?