
वनों का संरक्षण बेहद जरूरी-शिवानी जैन एडवोकेट
ऑल ह्यूमंस सेव एंड फॉरेंसिक फाउंडेशन डिस्टिक वूमेन चीफ शिवानी जैन एडवोकेट ने कहा कि
हमारे पर्यावरण में पानी, जंगल, पहाड़ औऱ पर्वत का होना जहां पर जरूरी होता है वहीं पर इनके बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती है। मौजूदा समय में इन सभी चीजों का दोहन हो रहा है जिसका संरक्षण जरूरी होता है। ऐसे में आज दुनियाभर में वन दिवस ( मनाया जा रहा है। हमारे जीवन में जंगल का अलग ही महत्व होता है।
थिंक मानवाधिकार संगठन एडवाइजरी बोर्ड मेंबर एवं अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त साहित्यकार डॉ कंचन जैन ने कहा कि जंगल हमें शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत कुछ प्रदान करते हैं. जंगल के घने वृक्ष जल को शुद्ध करते हैं, वायु को प्रदूषण मुक्त करते हैं, जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए आवश्यक कार्बन डाइऑक्साइड संकलित करते हैं, भोजन और जीवन रक्षक दवाएं मुहैया करवाते हैं।
मां सरस्वती शिक्षा समिति के प्रबंधक डॉ एच सी विपिन कुमार जैन, संरक्षक आलोक मित्तल एडवोकेट, ज्ञानेंद्र चौधरी एडवोकेट, राकेश दक्ष एडवोकेट, बृजेश शुक्ला एडवोकेट शार्क फाउंडेशन की तहसील प्रभारी डॉ एच सी अंजू लता जैन, बीना एडवोकेट, डॉ संजीव शर्मा, निदेशक डॉक्टर नरेंद्र चौधरी आदि ने कहा कि देश के सबसे बड़े वन आच्छादित प्रदेश का श्रेय मध्य प्रदेश को जाता है, इसके पश्चात अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और महाराष्ट्र का स्थान है, लेकिन जहां तक अपने कुल भौगोलिक क्षेत्र के प्रतिशत के रूप में वन की स्थिति है तो इसमें देश के चोटी के 5 राज्य मिजोरम (84.53 प्रतिशत, अरुणाचल प्रदेश, 79.33 प्रतिशत, मेघालय 76 प्रतिशत, मणिपुर 74.34 प्रतिशत एवं नागालैंड 73.90 प्रतिशत) है।
शिवानी जैन एडवोकेट
डिस्ट्रिक्ट वूमेन चीफ