सहार प्रखण्ड के अंधारी गांव मे गीता जयंती पर कार्यक्रम आयोजित
आरा/सहार। अगहन शुक्ल एकादशी को गीता जयंती मनाने की परंपरा प्राचीन है। इसीदिन महाभारत काल मे अर्जुन को कृष्ण ने गीता का उपदेश आरम्भ किया था।गीता जयंती की परम्परा को लगभग 60 सालों से भोजपुर जिले के सहार प्रखण्ड के अंधारी गांव के स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक रहे स्व ब्रह्मचारी जी महाराज के यहां मनाई जाती है।बुधवार को हुए आयोजन में अध्यात्म चिंतन मण्डल के सदस्यों द्वारा यह आयोजन किया गया।आयोजन में स्थानीय सत्संग प्रेमियों और धार्मिकों के अलावा दो विशेष वक्ताओं साहित्यकार निलय उपाध्याय और डॉ विजय प्रकाश शर्मा ने ऑनलाइन सबोधन किया।दोनों वक्ताओं ने गीता को उपनिषदों का सार बताया और कहा कि जीवन मे कर्म का अर्थ निष्काम कर्म से है। यानि कर्म करें निष्कर्म रहें। इस अवसर पर मन वाणी और शरीर की कर्म के साथ जुड़ाव पर भी चर्चा दोनों वक्ताओं ने की।
आयोजन के आरंभिक सत्र में कन्हैया पाठक ने गीता पाठ किया और उमा सिंह और दीपन बाबा ने भजनानन्द दिया।मौके पर अवधेश राय, रामबरन दास, योगेंद्र चौबे सहित सहार और तरारी इलाके के कई परम्परा प्रेमी शामिल थे।कार्यक्रम में चन्दन पाठक, ब्रजनंदन शर्मा, श्यामनारायण पंडित सहित अन्य ग्रामीणों ने अपना सहयोग किया।कार्यक्रम का आतिथ्य और संयोजन राजनीतिक सामाजिक साहित्यिक कार्यों से जुड़े अधिवक्ता राजेन्द्र पाठक ने किया।