समीर वानखेड़े चंद्रपुर महाराष्ट्र:
गढ़चिरौली जिले में पिछले कई वर्षों से नक्सलियों द्वारा कई राजनीतिक नेताओं, कार्यकर्ताओं और नागरिकों को निशाना बनाने की घटनाएं लगातार हो रही हैं। गढ़चिरौली जिले में नक्सलियों ने शनिवार रात भामरागड़ पंचायत समिति के पूर्व अध्यक्ष सुकराम महागु मडावी (उम्र 46) की हत्या कर एक बार फिर हड़कंप मचा दिया। इस बात पर काफी हंगामा मचा हुआ है कि उसे उसके घर से ले जाया गया और गांव के पास एक खेत में उसकी हत्या कर दी गई।
इस बीच पिछले कुछ दिनों से शांत बैठे नक्सलियों ने एक बार फिर पूर्व विधानसभा अध्यक्ष की हत्या कर दहशत फैलाने की कोशिश की है। शव के पास एक पर्चा भी छोड़ा गया और पुलिस आगे की जांच कर रही है। शनिवार (1 फरवरी) की रात हथियारबंद नक्सली गांव में घुस आए और माड़वी को जबरन घर से बाहर खींच लिया। गांव की सीमा के पास एक खेत में उनकी निर्मम हत्या कर दी गई। उसका शव घटनास्थल पर खून से लथपथ पाया गया। दिलचस्प बात यह है कि नक्सलियों ने शव के पास एक पर्चा छोड़ा है, जिसमें हत्या का कारण बताया गया है।
शनिवार की रात नक्सलियों ने माड़वी को जबरन उसके घर से उठा लिया और गांव के पास एक खेत में उसकी बेरहमी से हत्या कर दी। उन्होंने घटनास्थल पर पर्चा फेंककर हत्या की जिम्मेदारी स्वीकार की है। पिछले कुछ दिनों से नक्सली गतिविधियां कम हो गई थीं, लेकिन गांव में चर्चा है कि इस हत्या के बाद फिर से नक्सली गतिविधियां सक्रिय हो रही हैं। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस की एक टीम मौके पर पहुंच गई और आगे की जांच जारी है। इस घटना से क्षेत्र में आतंक का माहौल पैदा हो गया है तथा नागरिकों में भय व्याप्त हो गया है।
पिछले कुछ दिनों से नक्सली शांत हैं। हालाँकि, इस हत्या के साथ ही गढ़चिरौली में उनका प्रभाव एक बार फिर दिखने लगा है। राजनीतिक नेताओं की हत्याओं के कारण गढ़चिरौली में स्थिति और अधिक गंभीर हो गई है और प्रशासन के सामने अब नक्सली प्रभाव को रोकने की बड़ी चुनौती है। पिछले कुछ दिनों से नक्सली आंदोलन कुछ हद तक शांत था, लेकिन इस घटना के बाद गढ़चिरौली में एक बार फिर भय का माहौल पैदा हो गया है।पूर्व अध्यक्ष की हत्या से ग्रामीणों में भारी दहशत का माहौल है और कोई भी इस बारे में खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। नक्सली हिंसा के निशाने पर रहे गढ़चिरौली में जहां नई परियोजनाएं, निवेश और रोजगार सृजन के वादे किए जा रहे हैं, वहीं भामरागढ़ पंचायत समिति के पूर्व अध्यक्ष की नृशंस हत्या से सवाल उठता है कि नक्सलियों का आतंक कैसे रुकेगा ।
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