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दशाश्वमेध से शिवाला तक रहते हैं 50 हजार दक्षिण भारतीय, 12 से शुरू हो रहा काशी तमिल संगमम
चन्दौली काशी में दशाश्वमेध घाट से शिवाला घाट तक करीब 50 हजार दक्षिण भारतीय रहते हैं। बाबा विश्वनाथ और तमिलनाडु के रामेश्वरम के बीच की कड़ी को दुनिया के सामने प्रदर्शित करने के लिए 2022 में शुरू हुए काशी तमिल संगमम का आयोजन इस बार 12 फरवरी से शुरू हो रहा है। 12 फरवरी से काशी तमिल संगमम शुरू हो रहा है। यह संगमम का तीसरा संस्करण है। 2022 में केंद्र सरकार ने इसकी नींव काशी में रखी और खुद प्रधानमंत्री ने इसका उद्घाटन किया। समापन पर गृहमंत्री अमित शाह पहुंचे थे। काशी में दशाश्वमेध घाट से शिवाला घाट तक करीब 50 हजार दक्षिण भारतीय रहते हैं। काशी तमिल संगम का एक बड़ा उद्देश्य काशी के बाबा विश्वनाथ और तमिलनाडु के रामेश्वरम के बीच की कड़ी को दुनिया के सामने प्रदर्शित करना है। यह संबंध सदियों पुराना है लेकिन इसके राजनीतिक निहितार्थ भी हैं। दक्षिण भारत की राजनीति में हाशिए पर खड़ी भाजपा ने इस संगमम के जरिए पार्टी में संजीवनी डालने का प्रयास किया था, आज भी कर रही है।भले ही सरकार कहती है कि कार्यक्रम का उद्देश्य वाराणसी और तमिलनाडु के बीच ज्ञान, प्राचीन सभ्यता और संबंधों के सदियों पुराने बंधन को फिर से ढूंढना है। लेकिन, इसके राजनीतिक मायने तभी लगाए गए थे, जब इसे चुनाव से ठीक पहले शुरू किया गया था। यह अभी तक जारी है, संगमम शुरू होने से दो महीने पहले से ही प्रशासनिक स्तर से बड़ी तैयारियां शुरू कर दी जाती हैं।
यह इन पचास हजार लोगों को साधता है जो काशी में रहते हैं और तमिलनाडु से आने वाले लाखों लोगों के बीच भी सरकार अपना संदेश साफतौर पर देने में सफल होती है। हनुमान घाट और केदारघाट पर दक्षिण भारतीयों का पूरा मोहल्ला बसा है। इसके अलावा भेलूपुर क्षेत्र में भी दक्षिण भारतीय हैं। भाजपा ने ही इसे शुरू किया और इसका सियासी फायदा भी उसे मिला।