
प्रेस विज्ञप्ति
लखनऊ, उत्तरप्रदेश
अहमदाबाद क्रैश: एक दुर्घटना नहीं, वैश्विक चेतावनी
12 जून 2025, अहमदाबाद: मात्र 625 फीट की ऊंचाई पर Boeing 787 Dreamliner का क्रैश, महज एक तकनीकी दुर्घटना नहीं, बल्कि वैश्विक विमानन सुरक्षा के तंत्र पर एक गम्भीर और स्तब्ध कर देने वाली चोट है। यह हादसा सिर्फ भारत के लिए नहीं, बल्कि समूचे अंतरराष्ट्रीय उड्डयन समुदाय के लिए एक चुभता हुआ प्रश्नचिह्न है—क्या हमारे आसमान अब वाकई सुरक्षित हैं?
प्रारंभिक रिपोर्टों से जो तथ्य उभरते हैं, वे चिंताजनक हैं। दोनों इंजन एक साथ बंद हो जाना, विशेषकर इतनी कम ऊंचाई पर, न तो सामान्य तकनीकी गड़बड़ी है और न ही किसी आकस्मिक पक्षी टकराव का परिणाम। उड़ान भरने के लगभग 30 से 40 सेकंड के भीतर इंजन विफल हो जाना दर्शाता है कि ईंधन आपूर्ति प्रणाली में जानबूझकर हस्तक्षेप किया गया था। विशेषज्ञ सूत्रों का मानना है कि यह संभवतः मुख्य फ्यूल वाल्व को मैन्युअली बंद करने का परिणाम था—एक ऐसा कार्य जो केवल ग्राउंड टेक्निकल स्टाफ द्वारा किया जा सकता है, न कि उड़ान दल द्वारा।
यदि यह अनुमान सही है, तो यह एक लापरवाही नहीं, सुनियोजित तोड़फोड़ है।
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब Boeing की विश्वसनीयता पहले से ही संदेह के घेरे में है। 787 Dreamliner और 777 मॉडल को लेकर पहले ही सुरक्षा शंका के बादल मंडरा रहे थे। Boeing के भीतर काम कर चुके इंजीनियर Sam Salehpour और दिवंगत John Barnett जैसे व्हिसिलब्लोअर्स ने इन विमानों के निर्माण में गंभीर गुणवत्ता गिरावट और सुरक्षा मानकों की अनदेखी के आरोप लगाए थे। John Barnett की रहस्यमयी मृत्यु और कंपनी पर उनके उत्पीड़न के आरोप, इस पूरी प्रणाली की पारदर्शिता और जवाबदेही पर प्रश्न उठाते हैं।
2013 में Dreamliner को बैटरी विस्फोट की वजह से ग्राउंड किया गया था। तब से लेकर अब तक क्या वास्तव में कोई संरचनात्मक सुधार हुआ है, या सिर्फ काग़ज़ी सुरक्षा घोषणाओं से काम चलाया गया?
इस त्रासदी ने न केवल विमानन सुरक्षा को झकझोरा है, बल्कि भारतीय मीडिया की संवेदनशीलता पर भी प्रश्न उठाए हैं। कुछ टीवी चैनलों ने उन यात्रियों का इंटरव्यू प्रसारित किया जो “किस्मत से” फ्लाइट मिस कर गए। उनसे यह पूछना कि “आपको यात्रा न करने की प्रेरणा कैसे मिली?”—सिर्फ असंवेदनशील नहीं, बल्कि शोकाकुल परिवारों के घावों पर नमक छिड़कने जैसा है। टीआरपी की अंधी दौड़ में यह पत्रकारिता नहीं, बल्कि त्रासदी का शोषण है।
इस संदर्भ में तीन ठोस मांगें अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के समक्ष रखी जानी चाहिए:
- स्वतंत्र, पारदर्शी और बहुपक्षीय जांच : NTSB (USA), EASA (Europe), और DGCA (India) जैसे संगठनों को संयुक्त रूप से इस दुर्घटना की जांच करनी चाहिए।
- Boeing के निर्माण और सुरक्षा प्रक्रियाओं की ऑडिट : विशेष रूप से 787 और 777 मॉडलों को लेकर नए सिरे से मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
- वैश्विक सुरक्षा प्रोटोकॉल में संशोधन : ग्राउंड स्टाफ की जवाबदेही और फ्यूल कंट्रोल सिस्टम पर विशेष निगरानी तंत्र विकसित किया जाना चाहिए।
यह क्रैश एक ‘इंडिविजुअल फेल्योर’ नहीं है। यह एक “सिस्टम फेल्योर” है—जिसका मूल्य दर्जनों निर्दोष यात्रियों ने अपने जीवन से चुकाया। जब तक दुनिया इस चेतावनी को गंभीरता से नहीं लेती, अगला अहमदाबाद कहीं और भी हो सकता है।
यह केवल एक विमान हादसा नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए एक चेतावनी है, जिसे अब टाला नहीं जा सकता।
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