
शहीदे कर्बला को पुरसा देने के लिए उठाई गई अजीम पहलवान की मेहंदी
बोल कितनी लहू की हाजत है
जा से प्यारी। । हमें शहादत है
फिर यजीदो ने। । सर उठाया है
कर्बला फिर तेरी जरूरत है
प्रयागराज माहे मोहर्रम की तीन तारीख को गढी सराय मासूम अजगर अली के झूले इमाम बाड़े के पास से अजीम पहलवान की मेहंदी उठाई गई मेहंदी को सफेद और लाल फूल से सजाया गया है मेहंदी को बरेली शरीफ के गुंबद की तरह सजाया गया मेहंदी मेहंदी को देखने से ऐसा लगता है इसमें फूल नहीं संगमरमर लगा हुआ है मेहंदी पर जब लाइट फोकस पड़ता है ऐसा लगता है मेहंदी में फूल नहीं हीरे मोती चमक रहे हैं या अली या हुसैन की सदाए गूंजती है देर रात को मेहंदी उठाई जाती है नौजवानों में जोश भरा हुआ था अपने मजबूत कंधों पर मेहंदी को गश्त करने के लिए निकल पड़ते हैं औरतों और बच्चे घंटो मेहंदी का इंतजार करते रहे पहले से घरों के छत चबूतरे और बरजो पर जगह बना लिया था मेहंदी उठकर नखासा कोहना डफरिन अस्पताल सस्ता बाजार शाहगंज थाना सेवई मंडी कोतवाली बजाजा पट्टी सब्जी मंडी (राईन नगर) होते हुए वापस लतीफ मार्केट इमाम बाडे पर रख दिया जाता है। हुसैन के सैदाइयों से रात भर हूजम खचाखच भरा हुआ था पूरी रात लंगर होता रहा मेहंदी का अकीदतमंद रात भर जियारत करते रहे।
जनाब रिजवान साहब फैयाज अफरोज गुलाम गुलाम नबी इमाम अल्लाह उमर मामू गोलू साहब मोहम्मद आमिर फिरोज भाई महबूब डाबर अकरम शगुन फैयाज अहमद (फैजी)आदि अकीदतमंद मेहंदी में शामिल हुए शाहगंज थाना कोतवाली की पुलिस रात भर मुस्तैद थी
Police prashasan ka bhi Sahyog achcha khasa dikha