
जौनपुर शाहगंज
क्षेत्र के बड़ागांव में शुक्रवार को देर रात्रि आठवीं मोहर्रम का ऐतिहासिक जुलूस आयोजन किया गया।
आपको बता दें कि हज़रत अब्बास अलमबरदार की याद में अलम-ए मुबारक व शबीहे -ए ज़ुलजनाह का जुलूस निकाला गया।
जुलूस में शामिल अकीदत मंदों द्वारा तबल बजाते चल रहे थे, जगह जगह लोगों ने शर्बत और तबर्रुक भी तकसीम किया गया ।
देढ़ दर्जन से अधिक शबीहे -ए ज़ुलजनाह के साथ अलग-अलग अंजुमनों अपने अपने अंदाज नौहा मातम पेश किया।
जुलूस अपने प्राचीन मार्ग से भ्रमण करता हुआ बाजार के रास्ते लखनऊ-बलिया राजमार्ग स्थित मौला अब्बास के रौज़े पर जाकर संपन्न किया गया।
जुलूस का संचालन असगर मेहंदी गुड्डू द्वारा किया गया जुलूस का आगाज़ जौनपुर के मशहूर शायर व हुसैनी मिशन के जनरल सेक्रेटरी सैयद परवेज़ मेहदी शहर अर्शी ने किया।
ज़ायरीनो का समूह सायंकाल से ही इमाम बारगाह नूर मंज़िल में पहुँचकर जुलूस की प्रारंभिक तकरीर की प्रतीक्षा करते दिखे।
ऐतिहासिक जुलूस की अध्यक्षता सादर-ए हुसैनी मिशन सैयद जीशान हैदर द्वारा की गई
जुलूस का नेतृत्व मोहम्मद शारिक पुत्र स्व डॉ अली कौसर खान, एडवोकेट अली असद ने संयुक्त रूप से किया सुरक्षा के लिहाज़ से शाहगंज कोतवाली प्रभारी निरीक्षक दीपेंद्र सिंह उप-निरीक्षक मुन्ना लाल शर्मा, मुख्य आरक्षी अनंत यादव, संतोष यादव,आरक्षी पप्पू, स्माइल खान, समेत अन्य पुलिसकर्मी चक्रमण, करते दिखे ।
अब्बास अलमदार के शौर्य गाथा
अब्बास बिन अली बिन अबी तालिब (अ) अबुल-फ़ज़्ल के नाम से मशहूर इमाम अली (अ) के पांचवे और उम्मुल बनीन के बड़े बेटे हैं।
आपके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा कर्बला की घटना में आपकी उपस्थिति और आशूरा के दिन आपकी शहादत है। 61 हिजरी के मोहर्रम से पहले आपके जीवन और परिस्थितियों के बारे में अधिक जानकारी नहीं है, सिवाय इसके कि कुछ रिपोर्टों के अनुसार, वह सिफ़्फीन के युद्ध में मौजूद थे।
कुछ स्रोतो में आपका क़द लंबा और सुंदर चेहरा लिखा है।
शियो के उलेमा ने स्वर्ग में हज़रत अब्बास के लिए उच्च स्थान बयान किया है, और बहुत सी करामातो का भी उल्लेख हुआ है उनमे से एक हाजत रवाई है। यहां तक कि ग़ैर शिया (सुन्नी), गैर मुस्लिम (कुफ्फ़ार) की भी हाजत रवाई करते है।
मुसलमान हज़रत अब्बास के लिए एक बड़े आध्यात्मिक मक़ाम के क़ायल हैं।
वो उन्हे बाबुल हवाइज कहते हैं और उनसे अपील करते हैं। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के रौज़े के पास हज़रत अब्बास का रौज़ा शियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। इसके अलावा, शिया उन्हें सक़्क़ा ए कर्बला भी कहते हैं और मुहर्रम की 9वीं जबकि कुछ देशों मे शिया 8वीं तारीख़ को हज़रत अब्बास के नाम से अज़ादारी करते हैं।
जुलूस के दौरान प्रमुख रूप से हसन मेहंदी, समीम हैदर, पूर्व प्रधान मोहम्मद अजहर, हसन रजा, सैयद अबूज़र आब्दी, वारिस हाशमी, मुजाहिद हुसैन,बब्लू इलेक्ट्रीशियन,समेत सैकड़ों लोग मौजूद रहे।