
वन्दे भारत लाइव टीवी न्यूज़ डिस्ट्रिक्ट हेड चित्रसेन घृतलहरे (पेंड्रावन)सारंगढ़/बरमकेला, 21 जुलाई 2025// जनपद पंचायत बरमकेला अंतर्गत ग्राम पंचायत सहजपाली में विकास कार्यों के नाम पर लाखों रुपए के गबन का मामला उजागर हुआ है। सरपंच सत्या घनश्याम ईजारदार पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी बिल तैयार कर अपने ही परिजनों को वेंडर दिखाकर भुगतान करवाया, जबकि संबंधित निर्माण कार्य या तो कभी हुए ही नहीं या फिर उनके कोई ठोस साक्ष्य स्थल पर मौजूद नहीं हैं।यह मामला छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 40 (ग) के स्पष्ट उल्लंघन की श्रेणी में आता है, जिसके तहत जनप्रतिनिधि द्वारा पद का दुरुपयोग कर निजी हित में आर्थिक लाभ पहुंचाने पर निलंबन या पद से हटाने की कार्यवाही की जा सकती है।
स्थानीयों में आक्रोश, जांच समिति बनी लेकिन निष्कर्ष नदारद
ग्रामवासियों का आरोप है कि यह सुनियोजित तरीके से किया गया पंचायत निधि का दुरुपयोग है, जिसमें सरपंच के करीबी रिश्तेदारों को लाभ पहुंचाया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए जनपद पंचायत द्वारा जांच समिति तो गठित की गई, लेकिन समिति की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि समिति ने स्थल निरीक्षण की औपचारिकता नहीं निभाई और जांच कागजी खानापूर्ति तक सीमित रही। इससे गांव में आक्रोश और अविश्वास का माहौल बन गया है।
लुकापारा में भी सामने आया था ऐसा ही मामला
इससे पहले लुकापारा पंचायत में भी धारा 40(ग) के तहत सरपंच पर भ्रष्टाचार के आरोप सामने आए थे। जांच प्रतिवेदन तैयार हो चुका है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिससे प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लग रहे हैं। ग्रामीण व सामाजिक संगठनों का कहना है कि जांच प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव है और कुछ अधिकारियों की जनप्रतिनिधियों से मिलीभगत भ्रष्टाचार को संरक्षण दे रही है।
क्या कहती है धारा 40 (ग)?
छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 40 (ग) के अनुसार, यदि कोई सरपंच या जनप्रतिनिधि अपने पद का दुरुपयोग कर किसी परिजन को अनुचित आर्थिक लाभ पहुंचाता है, जैसे कि उसे वेंडर बनाकर भुगतान करता है, तो वह अपने पद से हटाए जाने का पात्र होता है
अब निगाहें प्रशासनिक कार्रवाई पर
यह मामला इस समय सारंगढ़ के अनुविभागीय अधिकारी के समक्ष विचाराधीन है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि प्रशासन धारा 40 (ग) के तहत सख्त और निष्पक्ष कार्रवाई करता है या यह मामला भी अन्य प्रकरणों की तरह प्रशासनिक उदासीनता की भेंट चढ़ जाएगा।ग्रामीणों ने मांग की है कि उच्चस्तरीय जांच कर दोषियों को दंडित किया जाए, साथ ही जनपद स्तर की जांच में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर भी जिम्मेदारी तय की जाए, ताकि भविष्य में इस प्रकार की अनियमितताओं पर अंकुश लगाया जा सके।