उत्तर प्रदेशकुशीनगर

गड्ढा मुक्त का दावा गड्ढे में! सिधुआ बाजार की सड़कें बनीं हादसों का अड्डा

कुशीनगर। यूपी सरकार के “गड्ढा मुक्त सड़कों” के शोर-शराबे वाले दावे सिधुआ बाजार में पहुंचते ही औंधे मुंह गिर गए हैं। यहां की सड़कें अब सड़क कम और हादसों का अड्डा ज्यादा बन चुकी हैं। बड़े-बड़े गड्ढों और टूटे डामर के बीच से रोज सैकड़ों लोग जान हथेली पर रखकर गुजरने को मजबूर हैं।

हादसे बने रोज का किस्सा
सड़क की हालत इतनी भयावह है कि बाइक सवार और पैदल चलने वाले लगातार चोटिल हो रहे हैं। ताज़ा घटनाओं में एक युवक का हाथ टूटा, वहीं एक बुजुर्ग महिला का पैर फ्रैक्चर हो गया। स्कूली बच्चों के गिरने और साइकिल से फिसलने के मामले भी सामने आए हैं। बरसात में गड्ढे पानी से भर जाते हैं और राहगीरों को मौत के कुएं का अंदाजा तक नहीं होता।

स्थानीय लोगों का गुस्सा फूटा
गांव के निवासी श्यामलाल का कहना है—“ये सड़क नहीं, गड्ढों का मेला है। अगर सरकार के गड्ढा मुक्त सड़कों का सच देखना है तो सिधुआ बाजार आ जाइए।” वहीं एक दुकानदार ने कटाक्ष करते हुए कहा—“अफसरों के लिए शायद ये सड़क केवल फाइलों में है, जमीन पर तो सिर्फ हादसे हैं।”

प्रशासन की चुप्पी पर सवाल
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि कई बार लिखित और मौखिक शिकायत के बावजूद लोक निर्माण विभाग और जिला प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। ग्रामीणों का आरोप है कि अधिकारी जानबूझकर इस समस्या को नजरअंदाज कर रहे हैं, मानो सरकार की छवि खराब करना ही उनका मकसद हो।

बरसात में और बिगड़ेंगे हालात
बरसात के मौसम में सड़क की स्थिति और भी खतरनाक हो गई है। जगह-जगह पानी भर जाने से न सिर्फ यातायात बाधित होता है बल्कि चार पहिया वाहनों के फंसने की घटनाएं भी आम हो चुकी हैं।

जनता का सवाल—कब मिलेगा न्याय?
लोग अब खुले तौर पर पूछ रहे हैं—“कब तक गड्ढों में गिरकर हमारी हड्डियां टूटती रहेंगी और अधिकारी अपनी कुर्सियों पर चैन की नींद सोते रहेंगे?”

निष्कर्ष
सिधुआ बाजार की सड़कें न सिर्फ यूपी सरकार की गड्ढा मुक्त योजना की पोल खोल रही हैं, बल्कि यह साबित कर रही हैं कि जब तक जमीनी स्तर पर निगरानी और जिम्मेदारी तय नहीं होगी, तब तक विकास के दावे सिर्फ पोस्टर और भाषणों में ही रहेंगे।

वंदे भारत न्यूज से मान्धाता कुशवाहा

 

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