
भारत शौर्य तिरंगा यात्रा: पिंडारूच की धरती पर राष्ट्रभक्ति का ज्वार
एकता, साहस और देशभक्ति का प्रतीक
देशभक्ति सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं होती, वह जब क्रियात्मक रूप में सामने आती है, तो इतिहास बनता है। ‘Bharat Shaurya Tiranga Yatra’ एक ऐसा ही उदाहरण है, जिसने पिंडारूच गाँव की मिट्टी को एक बार फिर वीरता, सम्मान और राष्ट्रगौरव के रंगों से सराबोर कर दिया। इस आयोजन का केंद्र बना द्रोण एकेडमी, जहाँ आज पूरा परिसर राष्ट्रभक्ति की भावना से गूंज उठा।
यात्रा का उद्देश्य: वीरता का संदेश और एकजुटता की पुकार
इस यात्रा का उद्देश्य सिर्फ एक परेड नहीं था, बल्कि एक सशक्त संदेश था – भारत के वीर सपूतों की वीरगाथाएं जन-जन तक पहुंचे और देश की एकता को मज़बूती मिले। वक्ताओं ने बताया कि ‘Bharat Shaurya Tiranga Yatra’ न सिर्फ सैन्य शौर्य को सम्मान देती है, बल्कि आम जनमानस में राष्ट्रीयता की भावना को मजबूत करती है।
विशेष रूप से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का ज़िक्र करते हुए कहा गया कि यह कोई साधारण सैन्य अभियान नहीं, बल्कि भारत माता के लिए प्राण न्योछावर करने वाले सैनिकों की अमरगाथा है। यह मिशन भारत की रक्षा पंक्ति में साहस, समर्पण और राष्ट्रप्रेम का अद्भुत उदाहरण बन चुका है।
द्रोण एकेडमी में देशभक्ति की बयार
पिंडारूच स्थित द्रोण एकेडमी में इस आयोजन को लेकर छात्र-छात्राओं, शिक्षकों और अभिभावकों में विशेष उत्साह देखा गया। कार्यक्रम की शुरुआत तिरंगे की शोभायात्रा से हुई, जिसमें ‘भारत माता की जय’, ‘वंदे मातरम्’ जैसे नारों से वातावरण गूंज उठा। बच्चे हाथों में तिरंगा लिए हुए गर्व से सिर ऊँचा किए चले जा रहे थे, मानो उनका उत्साह भारत के भविष्य की एक झलक हो।
संस्थान का नेतृत्व और प्रेरणा
द्रोण एकेडमी के निदेशक ज्ञानेश चौधरी ने इस मौके पर कहा,
“यह यात्रा सिर्फ अतीत के गौरव को याद करने का जरिया नहीं, बल्कि भविष्य की एकजुटता और अखंडता का प्रतीक है। जब भी भारत की अस्मिता पर संकट आता है, हमारे जवान इतिहास रचते हैं। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ इसका जीवंत प्रमाण है।”
उनके प्रेरणादायी वक्तव्य ने न केवल उपस्थित जनसमूह में जोश भरा, बल्कि युवाओं को यह संदेश भी दिया कि राष्ट्रप्रेम केवल किताबों में पढ़ने की चीज नहीं, बल्कि जीवन जीने की शैली है।
शिक्षकों का योगदान और उत्साह
इस अवसर पर शिक्षकों ने भी अपने विचार साझा किए।
सुनील झा, कमलेश कुमार, पिंकी चौधरी, अन्नू कुमारी, रितिका कुमारी, सबिता कुमारी, आनंद कुमार, आनंद शेखर मिश्र, और राजकुमार पासवान ने अपने-अपने वक्तव्यों में छात्रों को वीरता, सेवा और समर्पण की भावना से प्रेरित किया।
इन सभी शिक्षकों ने देश के लिए बलिदान देने वाले सैनिकों की कहानियाँ सुनाईं, जो न सिर्फ बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक रहीं, बल्कि उन्हें राष्ट्रीय गौरव से भी भर दिया।
अभिभावकों की उपस्थिति: सहयोग और सम्मान
इस आयोजन में अभिभावकों की गरिमामयी उपस्थिति ने कार्यक्रम को एक नया आयाम दिया। उन्होंने छात्रों के साथ कदम मिलाकर न सिर्फ भागीदारी निभाई, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि राष्ट्रभक्ति की लौ घर-घर तक जानी चाहिए।
कई माता-पिता की आँखों में गर्व के आँसू थे, जब उन्होंने अपने बच्चों को तिरंगा हाथ में लेकर जोशीले नारों के साथ चलते देखा।
देशभक्ति गीत और सांस्कृतिक कार्यक्रम
कार्यक्रम के दौरान छात्रों द्वारा प्रस्तुत देशभक्ति गीतों और कविताओं ने माहौल को और भावनात्मक बना दिया। ‘ऐ वतन, वतन मेरे आबाद रहे तू’, जैसे गीतों ने हर श्रोता के दिल में एक सिहरन पैदा कर दी।
समापन समारोह: राष्ट्रगान और जयघोष
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान और ‘भारत माता की जय’ के गगनभेदी नारों के साथ हुआ। यह दृश्य भावनाओं का चरम था, जहाँ बच्चे, शिक्षक, अभिभावक – सब एक साथ खड़े होकर तिरंगे के सम्मान में सिर झुकाए, आँखों में गर्व लिए, राष्ट्रगान गा रहे थे।
इस क्षण ने साबित कर दिया कि Bharat Shaurya Tiranga Yatra महज एक आयोजन नहीं, बल्कि एक जन-जागरण अभियान है, जिसमें हर आयु वर्ग की भागीदारी से यह स्पष्ट होता है कि देश की आत्मा अब भी जीवंत है।
एकता और आत्मबल का संदेश
Bharat Shaurya Tiranga Yatra ने पिंडारूच गाँव और द्रोण एकेडमी को एक नई पहचान दी है – एक ऐसी पहचान जो राष्ट्रभक्ति, शौर्य और संकल्प की मिसाल है। यह यात्रा आने वाली पीढ़ियों को न केवल भारत के गौरवशाली इतिहास से जोड़ती है, बल्कि उन्हें यह भी सिखाती है कि राष्ट्र सबसे पहले है।
द्रोण एकेडमी ने यह सिद्ध कर दिया कि शिक्षा केवल किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि यह उन मूल्यों का पोषण है जो भारत को भारत बनाते हैं। आज का आयोजन देश को एक नई ऊर्जा और नई दिशा देने का काम करेगा।
“जब तिरंगा उठता है, सिर अपने आप झुक जाते हैं। जब भारत माता की जय गूंजती है, दिल खुद-ब-खुद गर्व से भर जाता है। यही है असली भारत – एकता में विश्वास, शौर्य में जीवन और देश के प्रति समर्पण।”