
वंदे भारत लाइव टीवी न्यूज, गाजीपुर।
गाजीपुर का लंका मैदान इस बार इतिहास और संस्कृति का साक्षी बनने जा रहा है। जीवनोदय शिक्षा समिति, पी०जी० कॉलेज गाजीपुर, राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय गाजीपुर, आर्य महिला पी०जी० कॉलेज वाराणसी, अन्तरराष्ट्रीय भोजपुरी भारत संगम तथा जवाहरलाल नेहरू कॉलेज पासीघाट (अरुणाचल प्रदेश) के संयुक्त तत्वावधान में 23 एवं 24 अगस्त 2025 को प्रातः 9 बजे से कम्युनिटी हॉल, लंका मैदान में अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी एवं भोजपुरी लोक कला प्रदर्शन का भव्य आयोजन किया जाएगा।
संगोष्ठी का विषय
इस दो दिवसीय संगोष्ठी का मुख्य विषय है – “परम्पराओं का पुनः प्रतिष्ठापन : भारत एवं विदेशों में आदिवासी और भोजपुरी संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में”। इसमें भारत समेत अमेरिका, मॉरिशस, टर्की, नेपाल और अन्य देशों से नामचीन विद्वानों व शोधकर्ताओं की उपस्थिति रहेगी।
विशेष सम्मान
इस अवसर पर शिक्षा, साहित्य और लोककला के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले विभूतियों को सम्मानित किया जाएगा।
सारस्वत सम्मान प्राप्त करने वालों में प्रो. सरिता बुधु (मॉरिशस), प्रो. एस.टी. जस्सल (टर्की), प्रो. अनिल प्रसाद (लीबिया), प्रो. अखिलेश कुमार सिंह, प्रो. राम प्रकाश मिश्र, श्री मदन राय, माईकल टी. बोलेनिक (अमेरिका), एस. आफताफ (अमेरिका), शिवानन्द जायसवाल (नेपाल) सहित अनेक विद्वान शामिल होंगे।
बेस्ट टीचर अवार्ड प्रो. देवेन्द्र कुमार, प्रो. विश्वनाथ मिश्र, डॉ. राजन चौरसिया, डॉ. मनोज कुमार सिंह, डॉ. अक्षय पाण्डेय, कु० ज्योति, माया शर्मा समेत कई प्रतिष्ठित शिक्षकों को दिया जाएगा।
बेस्ट स्टूडेंट अवार्ड पी.जी. कॉलेज, गाजीपुर के एम.ए. अंग्रेजी के छात्र असितांग सिंह को प्रदान किया जाएगा।
साहित्य/कला सम्मान सुनील कुमार पाठक, सत्य प्रकाश शुक्ल, विष्णु देव तिवारी, डॉ. शशि शंकर ओझा, रवि प्रकाश ‘सूरज’, सुरेन्द्र मिश्र ‘अंकुर’, प्रदीप मिर्जापुरी, दिनेश पाण्डेय, नरेन्द्र नीरव, प्रो. पृथ्वी राज सिंह, प्रो. बलिराज ठाकुर आदि रचनाकारों व कलाकारों को प्रदान किया जाएगा।
लोक कला और संस्कृति की शाम
संगोष्ठी के साथ ही सांस्कृतिक संध्या का भी आयोजन होगा। सायंकाल 5 बजे से भोजपुरी लोकगायक पवन बाबू और जनार्दन सिंह अपनी प्रस्तुतियों से समां बांधेंगे। वहीं धोबियाऊ, गोंड़ऊ और पवरिया नृत्य जैसी परम्परागत लोकनृत्य शैलियों का अद्भुत प्रदर्शन अन्तरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कलाकारों द्वारा किया जाएगा।
विशेष महत्व
आयोजकों का कहना है कि यह कार्यक्रम न केवल गाजीपुर बल्कि पूरे पूर्वांचल के लिए गर्व का विषय है। यह संगोष्ठी आदिवासी और भोजपुरी संस्कृति के वैश्विक स्वरूप को समझने तथा परम्पराओं को पुनः प्रतिष्ठित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी।