
(-अरुण नेताम धमतरी (छ.ग))
*पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में नगर पंचायतों का गठन असंवैधानिक*
सर्व आदिवासी समाज युवा प्रभाग के संगठन मंत्री मुकेश मंडावी ने शासन प्रशासन द्वारा लगातार अनुसूचित क्षेत्रों में नगर पंचायतो के गठनों,घोषणाओँ का विरोध किया है जो कि असंवैधानिक है जिसके निम्न कारण हैं-
पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में नगर पंचायत गठित करने से संबंधित संवैधानिक /विधिक जानकरी निम्नानुसार है …
1. छत्तीसगढ़ में पांचवी अनुसूची के अंतर्गत अधिसूचित क्षेत्र शिवनंदनपुर में संविधान के 74वां संशोधन के माध्यम से नगरीय निकाय का गठन किया जा रहा है जो कि असंवैधानिक हैं।
2. संविधान के 74 वां संशोधन अधिनियम 1992 के अनुच्छेद 243 (य)(ग) के खंड (1) के तहत यह नगरीय निकाय पांचवी अनुसूची के क्षेत्रों में तब तक लागू नहीं होगा, जब तक संसद/केंद्र सरकार इसके लिए अलग से कानून/प्रावधान कर इसें अनुसूचित क्षेत्र में विस्तारित न करे।
3. अनुसूचित क्षेत्रों पर 74वां संविधान संशोधन अधिनियम को लागू कराने के लिए “पेसा अधिनियम” जैसा ही “मेसा अधिनियम” जब तक नहीं बन जाता, तब तक किसी भी नगरीय क्षेत्र का गठन नहीं किया जा सकता है।
4. संविधान के 74वें संशोधन के अनुच्छेद 243(य)(ग)(1) का उल्लघंन करते हुए राज्य सरकार द्वारा अनुसूचित क्षेत्र के नगरीय निकाय में आरक्षण संबंधी प्रावधानों को लागू कर दिया गया है, जो कि विधि सम्मत नही है एवं असंवैधानिक है।
5. पूर्व में अनुसूचित क्षेत्र की विघटित की गई ग्राम पंचायतों के क्षेत्र में पेसा अधिनियम के अंतर्गत अध्यक्षों के सभी पद अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के लिए आरक्षित थे जिसे नगरीय निकाय का गठन करते वक़्त समाप्त कर अनुसूचित जनजाति वर्ग के संवैधानिक अधिकारों का हनन किया गया है, जो की न्याय संगत नही है।
6. विघटित की गई ग्राम पंचायतों में “पेसा”अधिनियम की धारा 4 (छ) के अंतर्गत पंचायत में सदस्यों के लिए कुल स्थानों की संख्या में आधे से कम आरक्षण नहीं होने की अनिवार्यता को भी समाप्त कर दिया गया है, जो की विधि विरुद्ध है।
7. अनुच्छेद 243 यग (1) तथा अनुच्छेद 243 यग (3) का उल्लंघन कर आदिवासीयों के प्रतिनिधित्व को न्यून कर गैर आदिवासियों के प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देने से अन्य वर्गों द्वारा, जो इस क्षेत्र के निवासी नहीं है, आदिवासियों का आर्थिक, व्यावसायिक एवं राजनीतिक क्षेत्रों में शोषण किया जा रहा है।
8. अनुसूचित क्षेत्र में नगरीय निकाय बनाने से वहां पर पेसा अधिनियम के प्रावधानों के तहत अनुसूचित जनजाति को उनकी संस्कृति, उनकी रूढ़ीजन्य विधि, सामुदायिक संपदाओं पर परम्परागत अधिकारों प्राप्त नहीं हो पा रहे है जो कि उनके जीवन का अभिन्न भाग है।
9. संविधान के अनुच्छेद 244 (1) के अंतर्गत पांचवी अनुसूची के भाग ख की कंडिका 5 के अधीन अनुसूचित क्षेत्र में शांति एवं सुशासन के लिए स्थानीय अधिनियम के प्रावधानों को संशोधित करने तथा उन्हें लागू करने से रोकने की शक्तियां राज्यपाल में निहित है। इस प्रावधान का उपयोग कर राज्यपाल महोदय सभी नगरीय निकायों को विघटित करने हेतु अधिसूचना जारी कर सकते है।
अतएव, पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में नगर पंचायत हो ही नहीं सकता, यदि नगर पंचायत बनाया जाता है तो वह असंवैधानिक है। इस लिए:
1. संविधान के भाग 9 के अनुसूचित क्षेत्र में ग्राम पंचायतों का विघटन और उनके स्थान पर नवीन नगरीय निकायों की स्थापना पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए;
2. संविधान (74वाँ संशोधन) अधिनियम 1992 के लागू होने के बाद संविधान के भाग 9 के तहत अनुसूचित क्षेत्रों मे गठित ग्राम पंचायतों को विघटित कर उनके स्थान पर जिन नगर पंचायतों की स्थापना की गई है उन नगरी निकायों को तत्काल विघटित कर उनके स्थान पर पुन: ग्राम पंचायतों की स्थापना कराई जाए ताकि 73वां एवं 74वां संविधान संशोधन अधिनियम तथा पेसा अधिनियम के अनुरूप जनजातियों के परंपरागत प्रबंधन की पद्धति का संरक्षण हो सके।
3. राज्य सरकार द्वारा नगरीय निकाय क्षेत्रों में अतिक्रमण, व्यवस्थापन, कब्जा भूमि को विक्रय कर पट्टा प्रदाय किया जा रहा है। अनुसूचित क्षेत्रों में नगर पंचायत अगर असंवैधानिक है तो ऐसी स्थिति में इन सभी प्रक्रियाओं पर तत्काल रोक लगाई जाए.
#पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में संविधान के अनुच्छेद 243.यग के अनुसार नगर पंचायत जैसी व्यवस्था लागू नहीं हो सकती , यह बिल्कुल असंवैधानिक है जब तक के संसद इस संबंध में कोई कानून पास न कर दें.
इसके पूर्व नगर पंचायत विश्रामपुरी को 2015 में विघटित किया जा चुका है नगरी नगर पंचायत को भी विघटित कर संविधान के मंशानुरूप छत्तीसगढ़ में अनुसुचित क्षेत्रों के समस्त नगर पंचायतो को तत्काल विघटित किया जाए तथा राज्यसभा में 2001 से लंबित मेसा बिल पारित कर अनुसूचित क्षेत्र के प्रावधानों के अनुरूप मेसा कानून बनाया जाए।।
(हेमंत तुमरेट्टी )