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*श्रावणी मेला केवल आस्था का उत्सव नहीं, बल्कि व्यवस्था, संयम और सेवा की परीक्षा है…*

*श्रावणी मेला केवल आस्था का उत्सव नहीं, बल्कि व्यवस्था, संयम और सेवा की परीक्षा है...*

श्रावणी मेला के दौरान श्रद्धालुओं की निरंतर बढ़ती तादाद को देखते हुए मंगलवार को उपायुक्त अभिजीत सिन्हा ने बासुकीनाथ मंदिर से विधि व्यवस्था का जायजा लिया।समय समय पर उपायुक्त द्वारा अधिकारियों के साथ रुट लाइन का निरीक्षण भी किया जा रहा है।इस अवसर पर उन्होंने कहा कि प्रशासनिक सेवा केवल शरीर से नहीं, मन और चेतना से निभाई जाती है।उन्होंने प्रतिनियुक्त अधिकारियों से कहा कि ड्यूटी पर केवल खड़ा रहना पर्याप्त नहीं, हर क्षण सजग, संवेदनशील और समर्पित रहना आवश्यक है।

उपायुक्त ने सभी प्रतिनियुक्त पदाधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों से स्पष्ट रूप से कहा कि श्रद्धालुओं की संख्या चाहे कम हो या अधिक, किसी भी स्थिति में ढील नहीं बरती जाए। उन्होंने निर्देश दिया कि ड्यूटी के दौरान “रिलैक्स का कोई स्थान नहीं” — हर कर्मी को हर पल अलर्ट मोड में रहना है।

निरीक्षण के क्रम में उपायुक्त ने मेला क्षेत्र में स्थापित विभिन्न स्वास्थ्य शिविरों का दौरा किया।उन्होंने शिविरों में उपलब्ध जीवन रक्षक दवाओं एवं चिकित्सीय उपकरणों की जानकारी ली और कहा कि “बीमार शरीर के लिए औषधि जरूरी है, पर एक सजग व्यवस्था स्वयं में सबसे बड़ी औषधि है।” उन्होंने सभी स्वास्थ्य कर्मियों को किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए मानसिक रूप से तैयार रहने की सलाह दी।

कहा कि श्रावणी मेला केवल आस्था का उत्सव नहीं, बल्कि व्यवस्था, संयम और सेवा की परीक्षा भी है।

 

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