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पूर्व सांसद अष्टभुजा शुक्ला ने स्थानीय जिला पंचायत स्वर्गीय प्रदीप चौधरी स्मृति सभागार में विभाजन की विभीषिका पर संगोष्ठी को किया संबोधित

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महराजगंज।

रिपोर्ट बुद्धेश मणि पाण्डेय जिला प्रभारी

वन्दे भारत लाइव टीवी न्यूज

महाराजगंज 14 अगस्त । विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस भारत के इतिहास का वह काला दिन है जो हमें 1947 के भारत विभाजन के दौरान हुई भीषण त्रासदी, मानवीय पीड़ा और असंख्य बलिदानों की याद दिलाता है। यह दिवस हर वर्ष 14 अगस्त को मनाया जाता है, ताकि हम उस समय की विभीषिका को न भूलें और आने वाली पीढ़ियों को भी इससे सीख लेने का संदेश दे सकें। उक्त बाते कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व सांसद अष्टभुजा शुक्ला ने स्थानीय जिला पंचायत स्वर्गीय प्रदीप चौधरी स्मृति सभागार में विभाजन की विभीषिका पर संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा। कार्यक्रम के संयोजक जिला महामंत्री बबलू यादव की अध्यक्षता में आयोजित संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व सांसद अष्टभुजा शुक्ला ने अपने संबोधन में कहा कि विभाजन की विभीषिका भारत के इतिहास का एक ऐसा काला अध्याय है, जिसे भूलना असंभव है। 1947 में जब भारत आज़ाद हुआ, तब इसके साथ ही देश का विभाजन भी हुआ। धार्मिक आधार पर किए गए इस बंटवारे ने करोड़ों लोगों के जीवन को झकझोर दिया। पंजाब और बंगाल के कई हिस्से नए बने पाकिस्तान में चले गए। इसके परिणामस्वरूप लाखों लोग अपने घर-बार, ज़मीन-जायदाद, और अपनी जन्मभूमि छोड़ने पर मजबूर हुए। यह पलायन सिर्फ भौगोलिक नहीं, बल्कि भावनात्मक और मानसिक पीड़ा का प्रतीक था।इस विभाजन में लगभग 10 से 15 लाख लोग अपनी जान गंवा बैठे। हिंसा, दंगे, लूटपाट और महिलाओं के साथ अमानवीय घटनाएं आम हो गईं। ट्रेनें लाशों से भरी लौटती थीं, गांव के गांव उजड़ जाते थे। भाईचारे और वर्षों पुरानी सामाजिक एकता पर नफरत का ज़हर घुल गया। सीमाओं के दोनों ओर लोग अपने ही देशवासियों से अजनबी और दुश्मन बन गए। विभाजन की त्रासदी केवल तत्कालीन समय तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसकी गहरी चोट पीढ़ियों तक महसूस की गई। लाखों शरणार्थियों ने नए सिरे से जीवन शुरू करने की कोशिश की, लेकिन खोई हुई ज़मीन, जड़ों और रिश्तों की यादें हमेशा दिल में टीस देती रहीं। उन्होंने कहा कि विभाजन के समय न केवल भारत और पाकिस्तान के बीच सीमाएं खींची गईं, बल्कि इंसानों के दिलों में भी दरारें पैदा हो गईं। हजारों महिलाएं विधवा हो गईं, बच्चों ने माता-पिता खो दिए, और बुजुर्ग अपनों से बिछड़ गए। यह वह समय था जब इंसानियत की सबसे कठिन परीक्षा हुई और लोगों ने अदम्य साहस और धैर्य के साथ नए जीवन की शुरुआत की। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे इतिहास को पढ़ें, समझें और उससे प्रेरणा लें कि देश की अखंडता और साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखना ही सच्चा राष्ट्रधर्म है। कार्यक्रम में उपस्थित जनों ने विभाजन में शहीद हुए और पीड़ित सभी लोगों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम के अंत में मौन जुलूस नगर तिराहे तक निकाला गया। संगोष्ठी को पूर्व जिलाध्यक्ष अरुण शुक्ला, परदेसी रविदास, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री प्रतिनिधि जगदीश मिश्रा, जिला महामंत्री अमरनाथ पटेल,जिला उपाध्यक्ष अमरनाथ पटेल, संतोष सिंह, बैजनाथ सिंह, जिला मंत्री आशुतोष शुक्ला गौतम तिवारी बच्चू लाल चौरसिया बैजनाथ पटेल सरोज पांडेय ,वरिष्ठ नेता अजय कुमार श्रीवास्तव, अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष कुर्सद अंसारी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर मंडल अध्यक्ष हेमंत गुप्ता, अशोक पटेल, नगर अध्यक्ष आकाश श्रीवास्तव, विजय गौड़,हीरा गुप्ता, राहुल सिंह, गुलाब चौरसिया, बृजेश चौधरी, विष्णुदेव चौरसिया, देवेंद्र गिरी सहित तमाम कार्यकर्ता मौजूद रहे।

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