
स्वतंत्र भारत का अगाज , जमकर कर लो भ्रष्टाचार
बस्ती।जनपद-बस्ती मे मनरेगा मे भ्रष्टाचार प्रतिदिन बढता ही जा रहा है , आये दिन जिम्मेदारो द्वारा मात्र सिर्फ कमिशन लेने का काम किया जा रहा है , मनरेगा मे जमकर लुट खसूट करवाने का काम बडी ही सरलता से जिम्मेदारो द्वारा ही करवाया जा रहा हैं।
जनपद बस्ती मे चारो दिशाओ से प्रतिदिन मनरेगा-भ्रष्टाचार की खबरे प्रकाशित किया जा रहा है,लेकिन कमिशन के नशे मे डूबे जिम्मेदारो द्वारा भ्रष्टाचार की खबरो को संज्ञान नही लिया जा रहा है ,और बडी़ हैरानी की बात यह है कि पहले सम्बन्धित जिम्मेदारो को सूचित किया जा रहा हैं,उसके बाद ही खबरे प्रकाशित किया जा रहा है ,लेकिन जिम्मेदारों द्वारा सिर्फ व सिर्फ गुमाराह किया जा रहा है , पल पल जिम्मेदारो द्वारा आख मिचौली का खेल-खेला जा रहा है ,जिससे संदेह होता है कि भ्रष्टाचार की खबरो को जान बूझकर नजर अन्दाज जिम्मेदारो द्वारा किया जा रहा है,
जनपद मे मनरेगा-काम को लेकर प्रतिदिन अनुमानित लगभग करीब पांच हजार, मजदूरो से मजदूरी का काम मास्टरोल के अनुसार मनरेगा मे कामो को लेकर करवाया जा रहा है , लेकिन जनपद के ग्राम पंचायतो मे विकास का असर जमीनी स्तर पर, कही नही दिखायी पड़ रहा है और सड़को नालियों से जुडीं समस्याए विभिन्न गांवों मे जैसी की तैसी पड़ी हुयी है , आखिर कार ? इसका मुख्य कारण क्या है?? कौन है इसका जिम्मेदार ?
जब कागजों मे दस्तावेजों के अनुसार काम भी करवाया जा रहा हैं,विकास के मार्गो पर जनपद मे ग्राम पंचायत का विकास भी करवाया जा रहा है ;- फिर भी ग्राम पंचायत मे विकास अपनी स्थायी स्थान नही छोड पा रहा है “सरकार किसी की रही हो लेकिन प्रतिबर्ष लाखों का बजट ग्राम पंचायत मे स्वीकृति के रुप मे पहले ही करवा लिया जा रहा हैं , लेकिन सड़के नालियों एंव सर्व समाजिक गतिविधि मे तनिक भी , सुधार क्यो नही आ रहा है “आखिर इसका मुख्य कारण क्या है , जो खडण्जा सडके नालियों मे सुधार भी नही हो पा रहा है और bलाखो करोड़ो का बजट ग्राम पंचायतो मे समाप्त हो जा रहा है , आखिर कहा जा रहा है लाखो करोड़ो़ का बजट-? जो निगल तो जा रहा हैं लाखो करोड़,लेकिन नही ले रहा है कलवट,
अगर सरकार के सरकारी रूपये का उपयोग ग्राम पंचायतों के विकास कार्यो मे लगाया जा रहा है तो विकास का मार्ग ग्राम पंचायतो मे क्यो नही दिखायी पड़ रहा है , लाखो करोड़ो का बजट ग्राम पंचायतों मे प्रति बर्ष मे समाप्त हो जा रहा है , लेकिन विकास सिर्फ कागजों मे ही सिमट के रह जा रहा है आखिर कार इसका मुख्य जिम्मेदार कौन है ?
जबकि सरकार द्वारा सरकारी कामो को लेकर लाखो करोडो रूपये का खर्च भी किया जा रहा है ,तो ग्राम पंचायत का विकास सिर्फ कागजों मे क्यो दौड़के रह जा रहा हैं,और जमीनी स्तर पर शून्य पर ही दिखायी पड़ रहा है
सवाल के घेरे से निकलकर जब तक आम जनता और सरकार द्वारा कोई विरोधान्तमक कदम नही उठाया जायेगा तब तक न तो ग्राम पंचायतो मे विकास की कोई गंगा बहेगी , न तो जिम्मेदार अपनी दायित्वो का निर्वहन सुचारू रुप से जिम्मेदारीओ से करेंगे। न ही तब तक भ्रष्टाचार और कमिशन खोरी मे भी कोई कमी आयेगी,