दरभंगाबिहार

महिला संवाद कार्यक्रम: दरभंगा की महिलाएं कर रही हैं बदलाव!

दरभंगा की महिलाओं ने सरकारी योजनाओं से आत्मनिर्भरता पाई, अपनी समस्याएँ साझा की और स्वरोजगार व लघु उद्योगों के लिए प्रशिक्षण की मांग की।

सरकारी योजनाओं से बदली तस्वीर, महिलाओं ने साझा की सफलता की कहानियाँ
दरभंगा की महिलाओं ने उठाई अतिक्रमण, जाम और स्वच्छता की समस्याएँ
स्वरोजगार, प्रशिक्षण और लघु उद्योगों की मांग लेकर सामने आईं दरभंगा की महिलाएं

दरभंगा, 09 मई 2025:
महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार की विभिन्न योजनाओं से महिलाओं का जीवन बदल रहा है। इन योजनाओं के माध्यम से महिलाओं की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में क्रांतिकारी बदलाव आया है। बिहार सरकार द्वारा चलाए जा रहे “महिला संवाद” कार्यक्रम के तहत दरभंगा में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक अहम कदम उठाया गया है। इस कार्यक्रम में 25 जागरूकता रथों के माध्यम से 50 ग्राम संगठनों में दो शिफ्टों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।

महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किए और बताया कि किस तरह से उन्हें सरकार की योजनाओं से आत्मनिर्भरता मिली है। जीविका समूहों से जुड़ी महिलाओं ने बताया कि उन्होंने छोटे व्यवसायों जैसे किराना दुकान, सिलाई, पशुपालन, और ब्यूटी पार्लर जैसे कार्यों को शुरू किया है, जिससे उनकी आय में वृद्धि हुई है। इसके साथ ही, उन्होंने अपने बच्चों की शिक्षा, घर के खर्च और स्वास्थ्य में सुधार किया है।

कार्यक्रम के दौरान महिलाओं ने स्थानीय समस्याओं पर भी चर्चा की। उन्होंने जिले के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में अतिक्रमण और अव्यवस्थित ट्रैफिक जाम की समस्याओं का जिक्र किया। कई महिलाएं, विशेषकर जब वे बच्चों को स्कूल छोड़ने या अस्पताल जाती हैं, इन समस्याओं का सामना करती हैं। इसके अलावा, उन्होंने साफ-सफाई की व्यवस्था में सुधार की भी मांग की।

महिलाओं ने स्वरोजगार और लघु उद्योगों की दिशा में प्रशिक्षण की आवश्यकता जताई, जैसे कि कंप्यूटर, सिलाई, मोबाइल रिपेयरिंग, और मशरूम उत्पादन में प्रशिक्षण देने की बात कही। इसके साथ ही, बैंक ऋण की प्रक्रिया को सरल बनाने की भी जरूरत जताई गई ताकि और महिलाएं छोटे व्यवसाय शुरू कर सकें।

महिला संवाद कार्यक्रम ने दरभंगा की महिलाओं में आत्मविश्वास और उत्साह का संचार किया है। अब वे न केवल अपने परिवार के लिए बल्कि समाज और पंचायत स्तर पर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। इस कार्यक्रम ने उन्हें यह विश्वास दिलाया है कि वे न केवल विकास में भागीदार बन सकती हैं, बल्कि समाज में परिवर्तन का एक प्रमुख हिस्सा भी बन सकती हैं।

Back to top button
error: Content is protected !!