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जदयू और वीआईपी के सीधी टक्कर में,एनडीए चौका लगाने के चक्कर में

जदयू और वीआईपी के सीधी टक्कर में,एनडीए चौका लगाने के चक्कर में सिंह

गोपालगंज की चुनावी समीक्षा

गोपालगंज।। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के गृह जिले के संसदीय क्षेत्र 17 गोपालगंज (अ. जा.) में जदयू और वीआईपी के सीधी टक्कर में भाजपा गठबंधन को चौका लगाने से रोकने के लिए वीआईपी( राजद) प्रयत्नशील है।
2009 से गोपालगंज संसदीय क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। 2009 में राजग के जदयू प्रत्याशी पूर्णमासी राम गोपालगंज से सांसद चुने गए। 2014 में हुए चुनाव में भाजपा से जदयू के अलग होने पर भाजपा के जनक राम गोपालगंज से सांसद बने। 2019 में फिर भाजपा जदयू के तरफ से जदयू के डॉक्टर आलोक कुमार सुमन सांसद बने। अर्थात् लगातार तीन बार से भाजपा गठबंधन गोपालगंज में चुनाव जीतते चला आ रहा है। इस बार भी गोपालगंज में जदयू और वीआईपी में सीधी टक्कर है।
उत्तर प्रदेश की सीमा से लगने वाले गोपालगंज संसदीय क्षेत्र में 1952 और 1957 में कांग्रेस के सैयद महमूद एवं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर 1991 में राजद एवं 1998 में समता पार्टी से लगातार दो बार चुनाव जीतने में सफल रहे। 1962 एवं 1967 में पंडित दीनानाथ तिवारी कांग्रेस से तथा 1977में जनता पार्टीसे लगातार तीनबार चुनाव जितने में सफल रहे। इसके अतिरिक्त यहां से कोई दोबारा सांसद नहीं बन सका है। निवर्तमान सांसद डॉ आलोक कुमार सुमन यदि चुनाव जीतते हैं तो वह भी लगातार दो बार जीतने वालों में अपनानाम दर्ज करा सकेंगे।
1980 में कांग्रेस से नगीना राय एवं 2004 में राजद से अनुरूद्ध प्रसाद उर्फ साधु यादव चुनाव जीते थे। उसके बाद से कांग्रेस या राजद यहां से कभी चुनाव नहीं जीत सका है। 2009 से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होनेके बाद से किसी भी दल ने एक व्यक्ति को दोबारा टिकट नहीं दिया। यह पहला अवसर है कि जदयू ने अपने राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष डा. आलोक कुमार सुमन को दोबारा प्रत्याशी बनाया है।
2019 में हुए लोकसभा चुनाव में जदयू प्रत्याशी डॉ आलोक कुमार सुमन ने राजद से आमने-सामने की लड़ाई में परास्त किया था। डॉ सुमन को 5 लाख 68 हजार 150 (54.4%) एवं राजद प्रत्याशी सुरेंद्र राम को 2 लाख 81हजार 716 ( 27.49% ) मत प्राप्त हुए थे। इस प्रकार डॉक्टर सुमन 2 लाख 86 हजार 434 मतों से विजई घोषित किए गए थे।
जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिला पदाधिकारी मोहम्मद मकसूद आलम ने बताया कि गोपालगंज चुनाव क्षेत्र में 11 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। जिले के छः विधानसभा क्षेत्र में कुल 2006 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। जिले में कुल 20 लाख 27 हजार 73 मतदाता हैं। जिसमें 10 लाख 30 हजार 898 पुरुष एवं 9 लाख 96 हजार 95 महिला तथा 80 अन्य मतदाता है ‌‌। यह सभी छठे चरणमें 25 मई को मतदान कर 11 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे।
कहने के लिए 11 प्रत्याशी चुनाव मैदान में है किंतु मुख्य मुकाबला जदयू प्रत्याशी डॉक्टर आलोक कुमार सुमन एवं वी आई पी प्रत्याशी प्रेम कुमार उर्फ चंचल पासवान के बीच है। मतदाताओं में सन्नाटा है। फिर भी भाजपा जदयू एवं राजद के कार्यकर्ता दिन-रात एक किए हुए हैं। भाजपा जिला अध्यक्ष संदीप कुमार गिरी का कहना है कि जिले में कोई लड़ाई हीं नहीं है। जिले में संगठन विहिन वी आई पी का प्रत्याशी बिल्कुल नया है। जिसे संगठन विहिन कांग्रेस एवं वामपंथी दलों का सहारा है। थोड़ा बहुत राजद का संगठन है जिसके बल पर यह चुनाव लड़ रहे हैं। विगत चार चुनावों मे भाजपा गठबंधन इन्हें हारते आ रहा है। गत् चुनाव में जीत का अंतर 2 लाख 86 हजार था। इस चुनाव में यह अंतर 4 लाख पर होगा। जिले के छः विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा और जदयू के चार तथा राजद के दो विधायक हैं। एक एमएलसी भी भाजपा का है। यह सभी जी जान से प्रधानमंत्री मोदी के 400 पार के नारे को सफल बनाने में लगे हुए हैं।
श्री गिरी का कहना है कि एआईएमआईएम भी इस बार चुनाव मैदान में है जिससे राजद के माय समीकरण वोटो का बिखराव हो रहा है और उसका लाभ भी भाजपा जदयू को मिल रहा है।
दूसरी तरफ राजद नेता पुर्व विधायक रियाजुल हक राजूका कहना है कि इस बार पूर्व के हार का बदला अवश्य लिया जाएगा। पलटी मार नीतीश कुमार से नाराज सवर्ण एवं वैश्य मतदाता इस बार हमारे साथ हैं। जो लोग हमें वोट नहीं दे सकते वैसे लोग नोटा को वोट देंगे । जिससे राजद गठबंधन को ही लाभ होगा। साथ हीं वी आई पी का प्रत्याशी होने के कारण जिले में फैले हुए सहनी वोट भी इस बार हमारे साथ है। कुछ ही समय के शासन काल में तेजस्वी यादव ने जिस तरह से बिहार में लोगों को रोजगार एवं युवाओं को नौकरियां दी है उससे भी सभी बेरोजगार और युवा भी हमारे साथ है। इसके अलावा जिले में भाजपा और जदयू के अंदर भारी विरोध का लाभ भी हमें मिल रहा है।
इस प्रकार विकास एवं विनाश के साथ श्रीराम मंदिर और धारा 370 हटाने तथा संविधान बदलने और आरक्षण हटाने की की चर्चा के बीच दोनों दल जातिगत गोलबंदी में भी लगे हुए हैं। 25 मई को जो दल अपने मतदाताओं को जितनी बड़ी संख्या में मतदान केंद्रों पर ले जाने में सफल होगा। विजयश्री उसे हीं मिलेगी।

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